2019 के आम चुनाव से पहले रोहित वेमुला के मुद्दे पर बीजेपी दलितों के ग़ुस्से झेल रही थी, लेकिन जब चुनाव नतीजे आए तो कहा गया कि दलितों का वोट बीजेपी से नहीं छिटका। अब क्या आंबेडकर मुद्दे को मैनेज करना बीजेपी के लिए इतना आसान होगा?
ईवीएम के मुद्दे और इंडिया गठबंधन के नेतृत्व के मसले पर सहयोगियों में रार क्यों है? कांग्रेस और राहुल पार्टी संगठन और इंडिया गठबंधन के सांगठनिक स्वरूप पर ध्यान क्यों नहीं देते?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में उन दलों के बीच मुक़ाबला है जो हमेशा चुनावी मोड में रहते हैं। तो चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले तैयारियों में कौन आगे है- आप या बीजेपी?
हेमंत सोरेन की झारखंड चुनाव जीतने से भी बड़ी सफलता क्या है? जानिए, अलग-अलग कबीलों में अब तक बंटे रहे झारखंड के आदिवासी समाज को लेकर उनका योगदान क्या रहा।
झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभ चुनाव के लिए चुनाव प्रचार चल रहा है। लेकिन सवाल है कि आख़िर बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन बाजी मारेगा या फिर कांग्रेस के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन?
वित्त मंत्रालय के ताज़ा आँकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में मंदी या सुस्ती का प्रवेश हो चुका है। आंकड़े बताते हैं कि गांवों में तो उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बनी हुई है लेकिन शहरी मांग घटती जा रही है। तो क्या अब लक्ष्मीजी बेड़ा पार करेंगी?
पहले आँध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने ज़्यादा बच्चे पैदा करने की बात कही तो अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि जब लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में कमी आ रही है तो कम बच्चे पैदा करने तक सीमित क्यों रहें?
अपनी यात्रा से जम्मू-कश्मीर के माहौल को गरमाने वाले राहुल वहां हो रहे चुनाव में उस तरह उपस्थित क्यों नहीं रहे हैं? यह सवाल हरियाणा चुनाव पर भी लागू होता है।
मणिपुर में ताज़ा हिंसा शुरू होने और विरोध-प्रदर्शन के बाद इंफाल में कर्फ्यू लगा दिया गया। गृह मंत्रालय ने पूरे मणिपुर में पाँच दिनों के लिए इंटरनेट निलंबित कर दिया है। आख़िर ऐसी नौबत क्यों आई?
नगर निगम तक के चुनाव भी जी-जान से लड़ने वाली बीजेपी आख़िर हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव लड़ने में उदासीन क्यों दिख रही है? घाटी में उसने उम्मीदवार तक क्यों नहीं उतारे हैं?
बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को राज्यसभा में पहली बार बहुमत मिला है तो क्या इसका वह बड़ा फायदा उठा पाएगी? लोकसभा में भी तो बहुमत होने बाद भी एक के बाद एक बिल वापस क्यों लेने पड़ रहे हैं?
जिस जनगणना को विश्व युद्ध के दौरान भी रोका नहीं जा सका है, उसको आख़िर अब तक क्यों नहीं कराया गया? क्या विपक्ष के नेता के तौर पर इसको उठाने की ज़िम्मेदारी राहुल गांधी की नहीं है?
नीट पेपर लीक मामले में भले ही सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला जो कुछ भी आए, लेकिन एक तो तय है कि धर्मेन्द्र प्रधान और नरेंद्र मोदी सरकार की परीक्षा अभी से शुरू हो गई है?
कठुआ के बनडोटा गाँव के पास आतंकियों ने घात लगाकर फौजी वाहन पर हमला किया। उससे एक दिन पहले भी आतंकियों के साथ मुठभेड़ हुई थी। श्रद्धालुओं वाली बस पर भी हमला किया गया। आख़िर ये हमले क्यों बढ़ रहे हैं?
विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी का पहला भाषण कितना सफल रहा? पढ़िए, संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राहुल के भाषण का विश्लेषण।
मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ के नतीजों को लेकर विवाद क्यों हुआ? इसमें एक के बाद एक गड़बड़ियों के आरोप क्यों लग रहे हैं?
लोकसभा चुनाव के आख़िरी चरण आते-आते प्रधानमंत्री मोदी जिस तरह से प्रचार कर रहे हैं क्या वह भाजपा के हारने या कमजोर पड़ने का लक्षण है? जानिए, आख़िर क्यों विपक्ष को सचेत रहना चाहिए।