चुनावी सुगबुगाहट तो बिहार में भी कब से शुरू है जहाँ अगले साल अक्टूबर से पहले विधान सभा चुनाव होना है और इसकी तैयारी चल रही है। लेकिन सबसे तेज़ हलचल राजधानी दिल्ली में है जहाँ कभी भी चुनावों की घोषणा हो सकती है। इससे भी बड़ी बात ये है कि वहाँ जिन दो पार्टियों के बीच चुनावी मुक़ाबला है अर्थात भाजपा और आप, वे  साल भर और 24 घंटे चुनावी मूड में रहने वाली पार्टियां है।इन दोनों पार्टियों ने लगातार एक दूसरे के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल रखा है और इसी का परिणाम है कि चुनाव घोषित नहीं हुए और लगभग चुनाव प्रचार शुरू हो गया है उम्मीदवारों के नाम घोषित होने लग गए है और कार्यक्रमों की झड़ी लग गई है कहना न होगा कि इस क़ाम में भाजपा  पूरे पांच साल से लगी हुई है और उसने आप की राज्य सरकार को गिराना है और उसके नाक में दम करने में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी है।कई बार उसकी कोशिशें संसदीय मर्यादाओं के उलट भी हुई है और सब किसी को ये लगता है कि ये क़दम है आप के नेताओं को परेशान करने के लिए उठाए जा रहे हैं तो किसी को भी यह समझने में दिक़्क़त नहीं होती है न कि किस तरह से आप ने भाजपा को पराजित किया है।