अगर उमर अब्दुल्ला के बयान का मतलब नेशनल कॉन्फ्रेंस का आधिकारिक बयान है तो अभिषेक बनर्जी के बयान को भी तृणमूल कांग्रेस का आधिकारिक बयान मानना चाहिए। और हम आप मानें न मानें लेकिन जब ईवीएम के दुरुपयोग के सवाल पर उमर अब्दुल्ला के बाद अभिषेक बनर्जी भी मिलता जुलता बयान दे रहे हैं तो कम से कम कांग्रेस को तत्काल इसका नोटिस लेना चाहिए। यह सवाल कॉंग्रेस या राष्ट्रवादी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी द्वारा हरियाणा और फिर महाराष्ट्र के नतीजों के बाद वोटिंग मशीन के दुरुपयोग पर उठाए जाने वाले हंगामे के बाद ही विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के नेतृत्व के सवाल पर एक दौर में सभी गैर कांग्रेसी साझीदारों द्वारा ममता बनर्जी को नेता बनाने की मांग के साथ सामने आया है।
कांग्रेस और राहुल कुछ सीखते क्यों नहीं?
- विश्लेषण
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- 17 Dec, 2024

ईवीएम के मुद्दे और इंडिया गठबंधन के नेतृत्व के मसले पर सहयोगियों में रार क्यों है? कांग्रेस और राहुल पार्टी संगठन और इंडिया गठबंधन के सांगठनिक स्वरूप पर ध्यान क्यों नहीं देते?
इसमें कांग्रेस या सपा-राजद जैसे विपक्षी दलों द्वारा चुनाव हारने के बाद (और उसी मशीन से चुनाव जीतने के बाद चुप्पी साध लेने) वोटिंग मशीन पर सवाल उठाने का सवाल भी है लेकिन कहीं न कहीं कांग्रेस पर दबाव बनाने की मंशा भी शामिल है। जब से मौजूदा सरकार ने चुनाव आयुक्तों के चुनाव के पैनल से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हटाकर केन्द्रीय गृहमंत्री को सदस्य और चयन समिति में सरकार के साफ बहुमत की व्यवस्था की है तब से कांग्रेस ही नहीं लगभग पूरा विपक्ष आयोग के फैसलों और चुनाव के नतीजों को लेकर शंका जाहिर करता रहा है लेकिन उसने कभी भी इसे आर-पार की लड़ाई का सवाल नहीं बनाया है। इसलिए उसकी मांगों का वजन हल्का होता गया है।