चारों तरफ़ भय और आतंक का माहौल है। नई-नई सत्ताएँ आए दिन प्रकट हो रही हैं जो नागरिकों को डरा रही हैं। सत्ता प्रतिष्ठान या तो नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करने में निकम्मा साबित हो रहा है या फिर अपराधी उसके संरक्षण में ही नियंत्रण से बाहर हो गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग क्या कहना चाहते हैं, उनका लिखा पढ़िएः