योगी आदित्यनाथ महाराष्ट्र में जाकर शिवाजी का ज़िक्र करते हुए आख़िर ‘बंटेंगे तो कटंगे’ का नारा किस आधार पर दे रहे हैं? क्या शिवाजी की विचारधारा उस तरह की है जैसी योगी ने पेश करने की कोशिश की?
क्या सत्तारूढ़ हिंदुत्ववादी शक्तियाँ इतिहास के इस कटु यथार्थ से कोई सबक़ लेंगी या सत्ता में बने रहने के लिए ’बँटोगे तो कटोगे’ का हथियार चलाते हुए देश को अशांति की अग्नि में झोंकती रहेंगी?
ऐसी ग़लत धारणाएँ लोगों में क्यों आ गईं कि आर्य इस देश के मूल निवासी थे, प्राचीन भारत में संपूर्ण वैज्ञानिक ज्ञान उपलब्ध था, ‘हमारे पास’ पुष्पक विमान था, प्लास्टिक सर्जरी थी, जेनेटिक इंजीनियरिंग थी और न जाने क्या-क्या था?
जहां दिल्ली में वायु गुणवत्ता 400 के आस-पास के ख़तरनाक स्तर पर है, वहीं पाकिस्तान के लाहौर में यह 1900 और मुल्तान में 2000 पार कर गया। क्या सिर्फ़ जुर्माना बढ़ाकर प्रदूषण फैलने से रोका जा सकता है?
जुलूसों में भाग लेने वाले हथियार लिए क्यों होते हैं, इनको जानबूझकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों बीच से क्यों निकाला जाता है, तेज आवाज़ में संगीत क्यों बजाया जाता है और भड़काऊ नारे क्यों लगाए जाते हैं?
एक लेख में राहुल गांधी द्वारा राजे-रजवाड़ों की ‘अंग्रेज़ भक्ति’ पर उठाए गए सवालों पर आख़िर ज्योतिरादित्य सिंधिया क्यों भड़के हैं? जानिए, सिंधिया परिवार का क्या इतिहास रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप की जीत के क्या मायने हैं? ‘लोकतंत्र ख़तरे में है, संविधान ख़तरे में है’, को लोग बड़ा मुद्दा क्यों नहीं मानते और अमेरिका में उसे जिताते हैं जो लोकतंत्र के लिये ख़तरा है?
डोनाल्ड ट्रम्प को चरम दक्षिणपंथी, स्त्री विरोधी, गर्भपात विरोधी और सुपर रिच समर्थक माना जाता है, फिर भी वह इलेक्टोरल और पॉपुलर वोट में जीत गए। इसका क्या मतलब है। पढ़िए, रामशरण जोशी की त्वरित टिप्पणी...
क्या सरकार को दूसरों की कीमत पर बस एक व्यवसाय का समर्थन करने की अनुमति दी जा सकती है? क्या सरकारी एजेंसियां व्यापार पर हमला करने और डराने-धमकाने का हथियार हैं?
प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड में ‘घुसपैठिये’ का मुद्दा उठाया और रोटी-बेटी-माटी को छीनने वालों का ज़िक्र किया। आख़िर बांग्लादेशी घुसपैठिए को लेकर सरकार के पास आँकड़े क्या हैं?