बीजेपी घटिया राजनीति पर क्यों उतर आई है? क्या विपक्ष के हमले का उसे कोई और जवाब नहीं सूझ रहा है? क्या राहुल को फँसाने में वह कामयाब हो जाएगी? कहीं ये गटर राजनीति उसे भारी तो नहीं पड़ने जा रही है?
विपक्ष की ज़बर्दस्त घेरेबंदी के बाद अमित शाह क्या अपने पद पर बने रह पाएंगे? क्या वो माफ़ी मांगकर बच सकते हैं? क्या मोदी उन्हें बचा पाएंगे? क्या अमित शाह की ग़लती से मोदी की कुर्सी पर भी ख़तरा मँडराने लगा है?
मल्लिकार्जुन खड़गे का ये आरोप क्या सही है कि मोदी ने देश को गुमराह किया? मोदी ने लोकसभा में कितने झूठ बोले? क्या इन झूठों के लिए उन्हें माफ़ी मांगना चाहिए? प्रो. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह, सतीश के. सिंह, पूर्णिमा त्रिपाठी और पीयूष बबेले-
सोनिया को जॉर्ज सोरोस के जाल में फँसाकर अडानी को बचाने की चाल क्यों फेल हो गई? क्या राहुल और कांग्रेस का आक्रामक रवैया काम कर गया? अब मोदी के तरकश में कौन से तीर हैं?
क्या ममता बैनर्जी इंडिया का नेतृत्व कांग्रेस से छीनना चाहती हैं? क्या वे कांग्रेस की नाकामी बताना चाहती हैं? क्या वे राहुल को चुनौती दे रही हैं? प्रो. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं विनोद अग्निहोत्री, गौतम लाहिड़ी और नीरेंद्र नागर-
अमित शाह अपने भावी प्रतिद्वंद्वी देवेंद्र फडणवीस को शक्तिशाली बनने से क्यों नहीं रोक पाए? उनकी तिकड़में काम नहीं आईं या फिर संघ के सामने उनकी एक नहीं चली? क्या अब वे फडणवीस की राह में काँटे बिछाने का काम करेंगे?
पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की निंदा-भर्त्सना क्यों हो रही है? उन्होंने ऐसा क्या कर दिया है जिसे समाज और देश के लिए भयानक नुक़सानदेह बताया जा रहा है? प्रो. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं- सतीश के. सिंह, नीरेंद्र नागर, मीनू जैन, प्रेम कुमार-
क्या मोदी-शाह के रवैये से नाराज़ होकर शिंदे ने बातचीत तोड़ दी है? क्या सौदेबाज़ी के लिए वे पैंतरे दिखा रहे हैं? अगर उनकी मांगें न मानी गईं तो वे क्या करेंगे?
अमेरिकी कोर्ट के गिरफ़्तारी वारंट से मोदी सरकार और अडानी साम्राज्य कैसे हिल गया? क्या मोदी अडानी को गिरफ्तार करके किसी बड़ी एजंसी से जांच करवाएंगे? ये क्यों कहा जा रहा है कि अगर मोदी ने अडानी की जाँच करवाई तो वे ख़ुद फंस जाएंगे?
क्या कांग्रेस के अंदर भाजपाई या संघी छिपे हुए हैं? क्या वे पार्टी को ईवीएम और दूसरे गंभीर मुद्दों पर कार्रवाई से रोकते हैं? क्या वे बीजेपी के लिए मुख़बिरी करते हैं?