मेरी पहली प्रतिक्रिया उन तसवीरों को देखकर यही है, जिनमें प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी इलाहाबाद के कुम्भ में 5 सफ़ाई कर्मचारियों के पैर धो रहे रहे हैं। मेरा सवाल है कि मोदी जी ने 5 ही सफ़ाई कर्मियों के क्यों पैर धोए?
सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण के बाद अति दलित और अति पिछड़ी जातियाँ सपा-बसपा गठबंधन के पक्ष में वोट डालकर आगामी लोकसभा चुनावों में बीजेपी का खेल बिगाड़ सकती हैं। लेकिन क्या यही काफ़ी है?
कानून मंत्री ने न्यायपालिका में आरक्षण देने की बात तो कही है लेकिन अब जब सरकार के सिर्फ़ कुछ महीने शेष हैं तो ऐसे में यह चुनाव में वोट बँटोरने के सिवा और कुछ नहीं है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हनुमान को दलित कह दिया। दलित चिंतक कँवल भारती से समझिए कि ब्राह्मण की परेशानी क्या है कि वह दलित की पूजा नहीं कर सकता।