बहुत चौंकाऊ आँकड़ों की बमबारी का ज्यादा मतलब नहीं है, लेकिन कुछ आँकड़े ऐसी तस्वीर पेश करते हैं कि उनकी चर्चा और उनसे कुछ व्यापक निष्कर्ष निकाले बगैर रहना ‘मूँदहीं आँख कतहु कछु नाहीं’ को व्यवहार में उतारना ही होगा। एक नामी अंतरराष्ट्रीय बाजार अनुसंधान कंपनी के अनुसार बीते सितंबर और अक्टूबर महीनों में भारत में ई-कॉमर्स का आँकड़ा 12 अरब डॉलर अर्थात सौ खरब रुपए से ऊपर पहुँच गया है और यह पिछले साल की इसी अवधि से 23 फीसदी ज्यादा है।
किसकी क़ीमत पर भारत में बढ़ रहा है ई-कॉमर्स बाज़ार?
- अर्थतंत्र
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- 21 Nov, 2024

भारत में तेजी से ई-कॉमर्स के बढ़ने का असर क्या हो रहा है? पढ़िए, ई-कॉर्मस के बाज़ार का पूरा खेल क्या है और सरकार इस रणनीति पर क्यों चल रही है।
बताना न होगा कि ये दो महीने त्यौहार की खरीदारी वाले माने जाते हैं और बाजार का हर खिलाड़ी इन पर खास नज़र रखता है। ई-कॉमर्स वाली कंपनियाँ तो हर व्यक्ति को बाज़ार में ला देने और हर किसी की जेब से ज़्यादा से ज़्यादा पैसे निकालने की तैयारी में रहती हैं। हम भी खरीदारी के मूड में होते हैं, तभी तो श्राद्ध पक्ष में भी सोना-चांदी और कारों की बिक्री बढ़ती जा रही है। इसी कंपनी का अनुमान है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट का हिसाब तो पिछले साल की तुलना में 26 फीसदी बढ़ा है। जाहिर है उनकी तैयारी ज्यादा होगी और तत्परता भी। पर दूसरी ऑनलाइन बिक्री करने वाली कंपनियों का कारोबार भी सामान्य से बहुत ज्यादा तेजी का है क्योंकि अर्थव्यवस्था के विकास के या प्रति व्यक्ति आय और खर्च के आंकड़ों से यह तस्वीर इतनी गुलाबी नहीं दिखती।