वित्त मंत्रालय के ताज़ा आँकड़े बताते हैं कि अर्थव्यवस्था में मंदी या सुस्ती का प्रवेश हो चुका है। आंकड़े बताते हैं कि गांवों में तो उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बनी हुई है लेकिन शहरी मांग घटती जा रही है। तो क्या अब लक्ष्मीजी बेड़ा पार करेंगी?
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की एक रिपोर्ट में अग्रणी वित्तीय सेवा फर्म मोतीलाल ओसवाल की एक शोध रिपोर्ट के हवाले से भारतीय अर्थव्यवस्था, परिवारों की बचत और उनपर बढ़े कर्ज को लेकर जानकारी दी गई है।
बात-बात पर चीनी सामानों का बहिष्कार क्या फैशन है? आख़िर जिस चीन को लाल आँख दिखाने की बात होती है और चीन में बने सामान का बहिष्कार किया जाता है, वहीं से आयात क्यों बढ़ गया?
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत की शानदार वृद्धि के पीछे क्या है प्रमुख वजहें। जानिए, किन क्षेत्रों की वृद्धि को प्रमुख कारण माना गया है।
अक्टूबर महीने में भारत की थोक महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है। मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक यह अब घटकर -0.52 प्रतिशत पर आ गई है। इससे पहले सितंबर महीने में थोक महंगाई -0.26 प्रतिशत थी।
द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट कहती है कि निजी सर्वेक्षण और अनुसंधान समूह सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, देश में बेरोजगारी दर अक्टूबर में 10 प्रतिशत को पार कर गई है।
G 20 कामयाब लेकिन देश में समस्याओं का पहाड़ । महंगाई और बेरोज़गारी ने लोगों का हाल बेहाल कर रखा है ? क्या हुआ उनका वादा कि बहुत हुई महंगाई की मार ? क्यों उनका कार्यकाल मनमोहन सिंह की आर्थिक प्रगति का मुकाबला नहीं कर पाया । क्यों वो आर्थिक मोर्चे पर असफल साबित हो रहे हैं ? आशुतोष बता रहे है ।
महंगाई बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है। दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के दावे भी किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि अमीर-गरीब की खाई को पाटे बिना आप ग्रोथ का फायदा अंतिम आदमी या औरत को कैसे दे पाएंगे। चीजों के दाम सस्ते नहीं हुए हैं। गरीब जनता का सरकारी आंकड़ों से कोई लेनादेना नहीं है। वो ये जानता है कि कि महंगाई कहां कम हुई है। पेश है आर्थिक विशेषज्ञ आलोक जोशी का नजरियाः
दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंकाओं के बीच भारत में जीडीपी वृद्धि दर गिरने के संकेत मिलने लगे हैं। जानिए तीसरी तिमाही को लेकर अब क्या आशंका जताई जा रही है।
नवंबर और दिसंबर में महंगाई कम होती दिखी थी तो क्या मुसीबत टल गई है? जनवरी में फिर से महंगाई बढ़ने और रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी किए जाने के क्या मायने हैं?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा 2004 से 14 के बीच मौके गंवा दिए पिछली सरकार ने। दस साल बर्बाद हो गए। नौ साल सरकार चलाने के बाद पिछले दस साल का भूत क्यों जगा रहे हैं प्रधानमंत्री? क्या है अर्थव्यवस्था की असलियत? वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार टीसीए श्रीनिवास राघवन के साथ