बाजार में हाहाकार है। बाजार मतलब सिर्फ शेयर और पूंजी बाजार नहीं, करेंसी बाजार और सामान्य बाजार भी। यह बात जोर शोर से प्रचारित की जा रही है कि खुदरा मूल्य सूचकांक गिरा है और चार महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गया है लेकिन वह अभी भी 5.2 फीसदी जैसे ख़तरनाक़ स्तर से ऊपर है और यह बात रिज़र्व बैंक भी मानता है। बल्कि इसके चलते वह बैंक दरों में हेरफेर करने से बच रहा है। पर अभी तत्काल बड़ी चिंता शेयर बाज़ार में कोहराम से है।
बाजार में क्यों हाहाकार है?
- अर्थतंत्र
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- 29 Mar, 2025

भारतीय अर्थव्यवस्था में हलचल क्यों है? क्या बाज़ार की स्थिति अभी ख़राब है? शेयर बाज़ार में कोहराम क्यों मचा है?
जब 13 जनवरी को बाजार का एक दिन का नुकसान 13-14 लाख करोड़ रुपए का हो गया तो दूसरे दिन सरकार और बाजार के कामकाज पर नजर रखने वाले सचेत हुए। कुछ टेक्निकल करेक्शन का असर था और कुछ हजारों करोड़ रुपए झोंकने का, बाजार में हल्की बढ़त दिखी। झोंकना शब्द जान-बूझकर इस्तेमाल किया गया है क्योंकि साझा कोष हों या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां, उनके निवेश का फैसला बाजार के रुख की जगह सरकार के रुख से तय होता है और हर संकट में ऐसा निवेश बाजार बचाने वाला होता है। और करेंसी बाजार को संभालने के लिए तो सचमुच बैंक में जमा धन बाजार में उतारना पड़ता है। इस बार बाजार संभल पाएगा, यह कहना मुश्किल है क्योंकि यह सिर्फ किसी एक समूह के कामकाज से जुड़ी देशी-विदेशी रिपोर्ट या सच के उजागर होने से आया तूफान नहीं है।