आम तौर से ख़बरों से दूर रहने वाले छत्तीसगढ़ से आजकल दो तरह की ख़बरें आ रही हैं जो राष्ट्रव्यापी चर्चा में दिल्ली और बिहार की चुनावी चकल्लस वाली ख़बरों पर भारी पड़ रही हैं। युवा और जुनूनी पत्रकार मुकेश चंद्राकर की सरकारी दुलारे ठेकेदार सुरेश चंद्राकर और उसके लोगों द्वारा हत्या कराने का मामला अगर सबको झकझोर रहा है और शासन (जिसके समर्थन के बगैर सुरेश न तो इतना बड़ा बनता और न ऐसा दुस्साहस करता) को भी सक्रिय होने के लिए मजबूर कर रहा है, तो बस्तर में छिड़ी सुरक्षा बलों और नक्सलियों की लड़ाई ने दर्जनों जानें ले ली हैं। अब नक्सलियों की तरफ़ से तो जवाबी कार्रवाई होने पर ही उनकी तैयारी और मंशा की ख़बर आती है लेकिन शासन की तरफ़ से केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रदेश सरकार के काफी सारे लोग तथा नेता इस बार की लड़ाई में नक्सलवाद की सफाई का संकल्प दोहरा चुके हैं।