जाति जनगणना की घोषणा की पहली राजनीतिक परीक्षा इस साल अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधान सभा चुनावों में होगी। बिहार में यह मुद्दा लंबे समय से गर्म है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने 2023 में जाति सर्वेक्षण करा कर बाजी जीतने की पहली कोशिश की थी। इस सर्वेक्षण के आधार पर अत्यंत पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण बढ़ा कर नीतीश कुमार ने अपने अति पिछड़ा, अति दलित आधार को मज़बूत करने की कोशिश की। लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन के नेता राहुल गांधी के साथ-साथ आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने देश भर में जाति जनगणना कराने के मुद्दे पर बीजेपी और एनडीए को लगातार कठघरे में खड़ा रखा।
बीजेपी लंबे समय तक जाति जनगणना के ख़िला़फ थी और इसे टाल रही थी। इसका सबसे बड़ा कारण ये माना जा रहा था कि बीजेपी के मुख्य समर्थक सवर्ण हिंदू नाराज़ हो जायेंगे। एनडीए में शामिल बिहार के ज़्यादातर सवर्ण नेता जाति आधारित जनगणना का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विरोध करते रहे हैं।