सरकार ग़ुस्से में नज़र आ रही है। हुकूमतें जब ग़ुस्से में होती हैं कुछ भी कर सकती हैं! किसी भी सीमा तक जाने के दावे कर सकती हैं (रक्षा मंत्री ने कहा है कि हरकत का जवाब आने वाले कुछ ही समय में ज़ोरदार तरीक़े से दिया जाएगा!) बैसरन में मंगलवार को जो हुआ उसने देश की आत्मा को हिला दिया है। घने जंगलों की कोख से सैन्य वर्दियाँ पहने अचानक प्रकट हुए आतंकियों ने घाटी की गोद में ख़ुशियाँ बटोरते भोले-भाले पर्यटकों से पहले उनके नाम और धर्म पूछे और फिर एके-47 से गोलियों की बौछार कर 26 की जानें ले लीं। चार-छह आतंकी बीस मिनट से कम वक़्त में 140 करोड़ के मुल्क की सत्ता को चुनौती देकर पहाड़ों की देह में फिर से गुम हो गए!
दर्दनाक हादसे के तत्काल बाद से सरकार में बैठे ज़िम्मेदार लोग बयान देते नहीं थक रहे हैं कि कोई बड़ी कार्रवाई की जा सकती है! सरकार की पहली कार्रवाई पाकिस्तान सरकार के ख़िलाफ़ की गई है! आतंकवादियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होना बाक़ी है। जो फ़ैसले लिए गए हैं उनका ज़्यादातर ख़ामियाज़ा पाकिस्तान के (या दोनों ओर के) नागरिकों को ही भुगतना पड़ेगा। (सिंधु जल समझौता रोकना, वीसा बंद करना, अटारी-वाघा बॉर्डर का बंद किया जाना या पाक नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश)। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। सीमा पार से होने वाली हरेक बड़ी घटना वह चाहे युद्ध हो या आतंकवादी हमला, इसी तरह के या इससे मिलते-जुलते फ़ैसले पहले भी लिए जाते रहे हैं।