भारत में जब-जब भी औद्योगिक उत्कृष्टता और व्यावसायिक नैतिकता का ज़िक्र होगा आम आदमी के उद्योगपति रतन टाटा का चेहरा ही आँखों के सामने तैरेगा! जानिए, श्रवण गर्ग कैसे उनको याद करते हैं।
‘लोकनायक’ का आज यानी 11 अक्टूबर को जन्मदिन है। जेपी को आज किस रूप में याद किया जाए और यदि वह इस वक़्त के नेताओं को देख रहे होते तो उनकी प्रतिक्रिया क्या होती?
विश्व विख्यात पेंटर मकबूल फिदा हुसैन का 17 सितंबर को जन्मदिन था। जाने-माने पत्रकार श्रवण गर्ग ने एमएफ हुसैन के साथ एक यादगारी बातचीत को सत्य हिन्दी के लिए लिखा है। पढ़िए, उनकी तीसरी और आख़िरी किश्त।
श्रवण गर्ग की खरी खरी। भागवत और मोदी में झगड़ा और बढ़ गया है। भागवत ने फिर नसीहत दी है कि कोई भगवान बनने की कोशिश न करे? ये काम जनता का है? क्यों है ये तकरार? और क्या ये मोदी को हटाने का कोई प्लान है?
कीव से नई दिल्ली वापसी के सिर्फ़ तीन दिन बाद ही रूस ने यूक्रेन पर अपना अब तक का सबसे बड़ा हमला कर दिया। देश को जानकारी मिलना बाक़ी है कि मोदी यूक्रेन क्यों गए थे?
बहुत सारे लोग शायद साठ साल पहले के वृंदावन की कल्पना नहीं भी कर पाएँ! मैं यहाँ सिर्फ़ उस ‘कुंज’ या ‘निधि वन’ की चर्चा करना चाहता हूँ जो कई छोटे-छोटे पेड़ों, लताओं से अच्छादित था।
श्रवण गर्ग की खरी खरी- प्रधानमंत्री को क्या सिर्फ बांग्लादेश के हिदुंओं के प्रति चिंता ज़ाहिर करनी चाहिये या फिर कुछ और भी कहा जाना चाहिये ? क्यों मुहम्मद यूनुस ने मंदिर जा कर बहुत बडा काम किया है ? क्यों प्रधानमंत्री का भाषण निराश करता है ?
दुनिया में तीसरे नंबर की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी पर प्रधानमंत्री जिस तरह से प्रहार कर रहे हैं क्या उसका विपरीत असर उन मतदाताओं पर भी नहीं पड़ रहा होगा जिनकी गिनती मोदी-समर्थकों में होती है?
विपक्षी एकता और इतनी विपरीत परिस्थितियों के बावजूद लोकसभा चुनाव के परिणामों को लेकर भाजपा अगर इतनी आश्वस्त ‘दिखाई’ पड़ती है तो उसके पीछे आख़िर बड़ा कारण क्या है?
वरिष्ठ पत्रकार और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जाने माने विशेषज्ञ वेदप्रताप वैदिक का पिछले साल आज ही के दिन यानी 14 मार्च को निधन हुआ था। जानिए, उनको कैसे याद करते हैं वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग।
गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही ग्वालियर में पार्टी-कार्यकर्ताओं को चुनाव जीतने का मंत्र दिया कि 'कांग्रेस के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को चुनाव से पहले भाजपा में लाएँ'। तो क्या चुनाव में उपलब्धियाँ गिनाने को कुछ नहीं है इसलिए ऐसी रणनीति बन रही है?
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री के भाषणों से क्या संदेश जाता है? जनता से जुड़े मुद्दों पर संवाद के ज़रिए पार्टी को जीत हासिल कराने की कोशिश या पराजय को किसी भी क़ीमत पर स्वीकार नहीं करने का भाव?
प्रधानमंत्री मोदी और राहुल गांधी, दोनों को उनकी ही पार्टियों के तपे-तपाए नेताओं ने लोकसभा चुनावों के पहले से तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। तो क्या विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा?
प्रधानमंत्री मोदी का विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार क्या धीमा पड़ गया है? विधानसभा चुनावों के लिए सांसदों को क्यों उतारा गया है? और क्या यह पीएम मोदी की 2024 के लिए रणनीति है?
मोदी द्वारा इस दावे को लगातार दोहराते रहने के पीछे कि वे ही फिर से प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, कोई तो अदृश्य ताक़त या मंत्र काम कर रहा होगा? राहुल गांधी की क्या रणनीति है?
प्रधानमंत्री मोदी ने उदयपुर में एक दर्जी कन्हैया लाल की हत्या का मामला क्यों उठाया? जिस राज्य में चुनाव हो, वहाँ इसका ज़िक्र करने का उनका मक़सद क्या था?