रतन टाटा ने सात अक्टूबर को एक अत्यंत आत्मीय ट्वीट अपने उन लाखों-करोड़ों शुभचिंतकों की चिंताओं को शांत करने के लिए किया था जो मुंबई के प्रसिद्ध ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में उनके भर्ती हो जाने से परेशान हो गए थे। रतन टाटा को जानकारी थी कि लोग उन्हें बेपनाह चाहते हैं! रतन टाटा ने ट्वीट में कहा था कि उनके स्वास्थ्य को लेकर चल रही अफ़वाहें बेबुनियाद हैं। वे उम्र के साथ जुड़ी मेडिकल समस्याओं की जाँचें हॉस्पिटल में करवा रहे हैं। चिंता करने के कोई कारण नहीं हैं। वे पूरी तरह ठीक हैं। दो दिन बाद नौ अक्टूबर की रात रतन टाटा अपने करोड़ों चाहने वालों को अकेला छोड़कर चुपचाप चले गए।
रतन टाटा : आम आदमी के उद्योगपति का अंतिम प्रयाण!
- श्रद्धांजलि
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- 14 Oct, 2024

रतन टाटा की कमी को महसूस करने के लिए दूसरी ज़रूरी बात यह है कि उनके भीतर की सादगी, विनम्रता और अपनी उपलब्धियों के प्रति निर्विकार भाव रखने को नज़दीक से पढ़ पाने के कितने अवसर हम सहजता से प्राप्त कर पाए हैं?
रतन टाटा के जाने से उत्पन्न हुई रिक्तता को महसूस करने के लिए दो बातों का होना ज़रूरी लगता है। पहली तो यह कि उस काल को जीया गया हो जिसमें संपन्नता की देशव्यापी परिभाषा ‘टाटा-बिड़ला’ बन जाना ही मानी जाती थी, कुछ और बनना नहीं! टाटा-बिड़ला के नाम भारतीय उद्योग में राष्ट्रवाद, गुणवत्ता और व्यावसायिक ईमानदारी के प्रतीकों के रूप में स्थापित हो गए थे। रतन टाटा उसी राष्ट्रीय पहचान के अंतिम मील के पत्थर थे।