हमने अपने प्रधानमंत्री को पिछले दस-ग्यारह सालों के दौरान या उसके भी पहले के बारह-तेरह सालों में जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे किसी रेलवे स्टेशन पर, ट्रेन की किसी बोगी के पास या उसकी किसी सीट पर बैठे हुए कब देखा होगा? याददाश्त पर ज़ोर डालकर देखिए शायद ऐसा कोई चित्र ध्यान में आ जाए! प्रधानमंत्री स्वयं (और उनके जीवनीकार) कहते नहीं अघाते कि मोदी उत्तरी गुजरात के वडनगर स्टेशन पर चाय बेचने के काम में पिता की मदद करते थे।