यह एक अलग तरह का युद्ध है जिसकी तैयारी शायद अलग-अलग प्रयोगशालाओं में सालों से की जाती होगी! ऐसा युद्ध जिसमें हथियारों का इस्तेमाल कम से कम दिखता है पर लड़ाई निरंतर चलती रहती है। उस समय भी जारी रहती है जब लगने लगता है कि अब सबकुछ सामान्य हो गया या हो रहा है। इस तरह के युद्ध में प्रतिद्वंद्वी का शरीर नहीं बल्कि उसका अपने होने या बने रहने की ज़रूरत में यक़ीन ख़त्म कर दिया जाता है। युद्ध की खूबी यह होती है कि इसे ‘प्रेम और सौहार्द’ की थीम पर लड़ा जाता है पर अंतिम नतीजे के रूप में नफ़रत को हासिल किया जाता है।