पहलगाम आतंकी हमला सिर्फ एक दुखद घटना नहीं था— यह भारत की सुरक्षा व्यवस्था और ख़ुफ़िया तंत्र की गहरी विफलता की एक और दर्दनाक कहानी है। 26 बेगुनाह लोग मारे गए, और हम फिर से वही सवाल पूछने को मजबूर हुए हैं, जिनके जवाब देने की बजाय सत्ता प्रतिष्ठान अक्सर चुप्पी या दोषारोपण का सहारा लेता है।
इस बार मामला इसलिए भी गंभीर है कि खुफ़िया एजेंसियों को पहले से अलर्ट था। 4 अप्रैल को इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी ने चेताया था कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन पहलगाम में होटलों की रेकी कर रहे हैं। बावजूद इसके, न कोई अतिरिक्त सुरक्षा इंतज़ाम किए गए, न ही सतर्कता बरती गई। हमले के दिन बैसरन घाटी में एक भी पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था। बहाना दिया गया कि घाटी जून में खुलती है— जबकि स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, घाटी साल भर खुली रहती है।