एक लेख में राहुल गांधी द्वारा राजे-रजवाड़ों की ‘अंग्रेज़ भक्ति’ पर उठाए गए सवालों पर आख़िर ज्योतिरादित्य सिंधिया क्यों भड़के हैं? जानिए, सिंधिया परिवार का क्या इतिहास रहा है।
साफ़ तौर पर यह सवाल अब हिंदुओं से पूछा जाना चाहिए कि धर्म के नाम पर हो रहा यह अधर्म कब तक बर्दाश्त करोगे। वेदांत तो संपूर्ण संसार को ब्रह्म की अभिव्यक्ति मानता है तो मुस्लिम इससे बाहर कैसे हुए?
आरएसएस प्रमुख मोहन हिंदुओं की ‘दुर्बलता’ से चिंतित हैं, लेकिन क्या उन्हें इसकी चिंता है कि भारत का आम हिंदू ‘पुष्ट’ होने के लिए भोजन क्यों नहीं कर पा रहा है?
बहराइच में हिंसा ग्रामीण क्षेत्रों तक कैसे फैल गई? जबकि इसे आसानी से रोका जा सकता था जैसा कि एक दिन बाद रोका गया। क्या अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हमले को संगठित करके वोट बटोरने का टेस्टेड ‘गुजरात मॉडल’ यूपी में दोहराने की कोशिश की जा रही है?
हरियाणा और जम्मू कश्मीर दोनों विधानसभाओं के चुनाव परिणाम के क्या मायने हैं? बीजेपी हरियाणा की ‘जीत’ की बात कर रही है तो वह जम्मू कश्मीर में जो नतीजे आए हैं उसको लेकर अपनी स्थिति का ज़िक्र क्यों नहीं कर रही है?
महात्मा गाँधी के जन्म दिवस की पूर्व-रात्रि में लद्दाख से सात सौ किलोमीटर पदयात्रा करके दिल्ली पहुँचे पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके क़रीब डेढ़ सौ साथियों को क्यों गिरफ़्तार किया गया?
राज्यपाल आर.एन. रवि ने कहा कि "भारत 'धर्म' से कैसे दूर हो सकता है? धर्म-निरपेक्षता एक यूरोपीय अवधारणा है और इसे वहीं रहने दें। भारत में धर्म-निरपेक्षता की कोई ज़रूरत नहीं है।” आख़िर उनके बयान के मायने क्या हैं?
पुणे में ‘अर्नस्ट एंड यंग’ में काम करने वाली अन्ना सेबेस्टियन की मौत 20 जुलाई को हार्ट अटैक से हुई थी। अन्ना की माँ का आरोप है फर्म ने उनकी बेटी पर काम का जो बोझा डाला उससे दबकर उसकी मौत हो गई। तो क्या काम के घंटे तय नहीं होने चाहिए?
कांग्रेस ने राहुल गाँधी को दी गयी धमकियों के जवाब में देश भर में प्रदर्शन आयोजित किये। राहुल गाँधी को धमकाने वालों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?
बीजेपी नेता तरविंदर सिंह मारवाह ने सार्वजनिक तौर पर राहुल गांधी का नाम लेकर क्यों कह रहे हैं कि ‘आने वाले टाइम में तेरा भी वही हाल होगा जो तेरी दादी का हुआ’?
किसी अपराध के अपराधी को अदालत की चौखट पर ले जाने से पहले ही ‘बुलडोज़र न्याय‘ से क्यों गुजरना पड़ रहा है? ये बुलडोज़र किसी का मकान या प्रतिष्ठान तोड़ने से पहले क्या न्याय व्यवस्था को मलबा नहीं बना देते हैं?
लैटरल एंट्री से उच्च पदों पर नियुक्ति को लेकर फँसी मोदी सरकार आख़िर कांग्रेस के शासन में नियुक्तियों का हवाला क्यों दे रही है? क्या यह तुलना किसी भी रूप में सही है?
बांग्लादेश में जो सिद्धांत ‘धर्म’ है, वह भारत की सरहद के अंदर ‘अधर्म’ कैसे हो सकता है? भारत में अल्पसंख्यकों से नफ़रत को ही ‘धर्म’ का पर्याय बना देना क्या है?
देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध क्यों लगाया था और इसको लेकर उनकी राय क्या थी? उनकी राय को सरकार द्वारा कर्मचारियों को आरएसएस में जाने की छूट देने के संदर्भ में समझिए।
डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले के संदर्भ में बीजेपी के आईटी सेल के चेयरमैन अमित मालवीय ने दावा किया कि जैसे अमेरिका में ट्रंप विरोधियों के बनाये माहौल का नतीजा जानलेवा गोलीबारी है वैसा ही परिणाम राहुल के बनाये मोदी विरोधी माहौल का भी हो सकता है।
इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने तो ज़बर्दस्त प्रदर्शन किया ही, इंडिया गठबंधन ने बीजेपी को कड़ी चुनौती दी। जानिए, राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा से कैसे देश की राजनीति बदल दी।
राहुल गांधी ने इस बार लोकसभा चुनाव के लिए अमेठी को छोड़कर रायबरेली को क्यों चुना? आख़िर रायबरेली से कांग्रेस का ऐसा क्या संबंध रहा है कि राहुल विपक्ष के हमलों का ख़तरा उठाकर वहाँ चले गए?
नेहरू जी के पास न घर बचा था और न नकदी। यही हाल इंदिरा गाँधी का भी था। उनके पास जो सोने-चाँदी के आभूषण थे, वह सभी उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय राष्ट्रीय रक्षा कोष में दान कर दिया था। तो फिर विरासत टैक्स को लेकर हमला क्यों?
मोदी से लेकर योगी तक कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर खुला झूठ बोल रहे हैं। जिस मीडिया का फ़र्ज़ इस झूठ को उजागर करना था, वह इन झूठे दावों का ‘लाइव प्रसारण’ कर रहा है। इससे यह भी साफ़ हो रहा है कि मोदी एंड कंपनी कांग्रेस के उस घोषणापत्र से घबराये हुए हैं जो तमाम विशेषज्ञों की नज़र में बेहद क्रांतिकारी है। पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का धारदार विश्लेषणः
कांग्रेस के घोषणापत्र पर पीएम मोदी की बयानबाजी ने यह तो साफ कर दिया है कि देश की दो पार्टियां यानी कांग्रेस और भाजपा देश को किस दिशा में ले जाना चाहती हैं। मोदी कांग्रेस के घोषणापत्र पर गुमराह करते और गलतबयानी करते हुए पकड़े गए हैं। वो कांग्रेस घोषणापत्र के बारे में जो बता रहे थे, उसी बात ने लोगों को कांग्रेस का घोषणापत्र पढ़ने को मजबूर कर दिया। चुनाव के नतीजे जो भी हों लेकिन मोदी की आर्थिक नीतियों ने भारत की आर्थिक असमानता की पर्तों को नंगा कर दिया है। पढ़िए पंकज श्रीवास्तव का लेखः
पीएम मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र में मुस्लिम लीग की छाया कैसे देख ली? इस घोषणापत्र में न्याय के जिस दर्शन को आधार बनाया गया है, क्या मुस्लिम लीग से उसका कुछ लेना-देना रहा है?