1971 का साल भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। यह वह दौर था जब भारत ने अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत से न केवल बांग्लादेश को आजादी दिलाई, बल्कि पाकिस्तान को घुटनों पर लाकर विश्व मंच पर अपनी धाक जमाई। इस जीत का परिणाम था शिमला समझौता, जो भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दूरदर्शिता और लौह इच्छाशक्ति का प्रतीक बना। लेकिन 2025 में, पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के फ़ैसले के जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौते को निलंबित करने की धमकी दी। सवाल उठता है कि क्या यह घोषणा कोई मायने रखती है, या यह एक ऐसे समझौते को दोबारा दफनाने की कोशिश है, जिसे पाकिस्तान ने पहले ही बार-बार तोड़ा?
शिमला समझौते का निलंबन क्या मुर्दे को दोबारा दफ़नाना है?
- विश्लेषण
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- 26 Apr, 2025
पाकिस्तान ने शिमला समझौता स्थगित करने की घोषणा की है। हालांकि पाकिस्तान ने शिमला समझौता न जाने कितनी बार तोड़ा है। सही भावना के साथ यह समझौता कभी लागू नहीं हुआ। वरिष्ठ पत्रकार पंकज श्रीवास्तव का विश्लेषणः
