थोरियम से बिजली बनाना भारत का पुराना सपना रहा है। दुनिया में सबसे ज्यादा, टोटल का एक चौथाई थोरियम हमारे यहां केरल और उड़ीसा के समुद्र तटों की ललछौंह रेत में है। इसका इस्तेमाल औद्योगिक पैमाने पर परमाणु ऊर्जा बनाने में होने लगे तो भारत का बहुत बड़ा सिरदर्द मिट जाएगा। सन 2050 तक अपनी जरूरत की 30 फीसदी बिजली थोरियम से ही बनाने का लक्ष्य फाइलों में बाकायदा निर्धारित करके रखा गया है। लेकिन बात है कि बनने को नहीं आ रही। भारत में न्यूक्लियर रिसर्च की नींव रखने वाले डॉ. होमी जहांगीर भाभा ने इसके लिए तीन चरणों का कार्यक्रम बना रखा था, जो अभी तक मोटे तौर पर पहले चरण में ही अटका पड़ा है। हालांकि वैज्ञानिकों की एक पीढ़ी इसपर काम करके रिटायर हो चुकी है और दूसरी भी पेंशनयाफ्ता होने के करीब पहुंच रही है।