भारतीय शेयर बाज़ार में ख़ूनख़राबा क्यों हो रहा है? आख़िर विदेशी निवेशक एफ़डीआई क्यों निकाल रहे हैं और देश के निवेशक विदेशों में पैसा लगा रहे हैं? भारत की अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है?
क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और इसका असर शेयर बाज़ार पर पड़ रहा है? क्या चुनाव की अनिश्चितता का भय शेयर बाज़ार को लग रहा है?
शेयर मार्केट को लेकर अगर देश का जाना-माना उद्योगपति चेतावनी दे तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने शेयर मार्केट के दलाल हर्षद मेहता के समय की याद दिलाते हुए कहा कि छोटे निवेशक डूब सकते हैं। गोयनका ने सरकार से हस्तक्षेप के लिए कहा है। पूरी जानकारी यहां से लीजिएः
पिछले कुछ दिनों से अडानी के जिन शेयरों में तेजी से गिरावट की वजह से निचला सर्किट लग रहा था उनमें आज ऐसा क्या हो गया कि तेजी की वजह से ऊपरी सर्किट लगने लगा?
शेयर बाज़ारों में हाहाकार। फिर एक काला सोमवार। ओमिक्रॉन की दहशत है या किसी और फिक्र में दुबले हो रहे हैं दुनिया भर के शेयर बाज़ार? क्या होगा आगे और क्या करना है निवेशकों को? आलोक जोशी के साथ बाज़ार के जानकार अजय बग्गा से समझिए बाज़ार की चाल।
एक और काला सोमवार! शेयर बाज़ार में हाहाकार! अब कहां जाएगा बाज़ार? एक झटका है संभल जाएगा? या अब बड़ी गिरावट की तैयारी है। बाज़ार में क्या करें और क्या न करें? आलोक जोशी के साथ शेयर बाज़ार के जानकार अजय बग्गा और ट्रेड स्विफ्ट ग्रुप के संदीप जैन।
अडानी समूह के शेयरों में भारी गिरावट के बाद समूह ने सफाई दी कि जिस खबर की वजह से उनके शेयरों में गिरावट आई थी वो खबर ही सही नहीं थी। इसके बाद गिरावट न सिर्फ थम गई बल्कि कई शेयर काफी सुधरकर बंद हुए।
अर्थव्यवस्था का आईना समझा जाने वाला शेयर बाज़ार इस समय छलांगें लगा रहा है जबकि जीडीपी की दर माइनस में जा रही है। ऐसी मंदी कभी देखी नहीं गई थी और 2021 में भी इसके सुधरने के आसार कम ही हैं।
दस दिनों की तेज़ी के बाद शेयर बाज़ार में तेज़ गिरावट क्या कहती है? दुनिया भर के संकेतों से डरना चाहिए या ट्रेडरों की सुनकर डटे रहना चाहिए? आलोक जोशी की टिप्पणी।Satya Hindi