यह बात देखने-सुनने में अजीब सी लग रही है कि अर्थव्यवस्था का आईना समझा जाने वाला शेयर बाज़ार इस समय छलांगें लगा रहा है जबकि जीडीपी की दर माइनस में जा रही है। ऐसी मंदी कभी देखी नहीं गई थी और 2021 में भी इसके सुधरने के आसार कम ही हैं। फिर भी ऐसा क्या हो गया कि पूरे कोरोना काल में शेयर बाज़ार ऊपर चढ़ता ही रहा?
दो महीने तो सभी कल-कारखाने और कारोबार भी कमोबेश बंद रहे लेकिन मुंबई शेयर बाज़ार का सूचकांक जिसे सेंसेक्स भी कहते हैं, शुरू में ज़रूर गिरा लेकिन उसके बाद बुलंदियों को छूता रहा। ऐसा लगा कि शेयर बाज़ार का अर्थव्यवस्था से कोई संबंध ही नहीं था। यह सिलसिला अभी भी बेधड़क जारी है और मुंबई शेयर बाज़ार का सूचकांक हैरतअंगेज़ ढंग से 50,000 को पार कर गया है।
उस बुरे साल में जब हज़ारों कारोबार बंद हो गए और एक करोड़ से भी ज़्यादा लोग बेरोज़गार हो गए तो भी सेंसेक्स नए रिकॉर्ड बनाता हुआ 16 प्रतिशत बढ़ गया। और तो और कुछ एक्सपर्ट दावा कर रहे हैं कि यह इस साल 50,500 तक जा सकता है क्योंकि जो परिस्थितियाँ अभी बनी हुई हैं वे बनी रहेंगी।