पिछले दिनों पांच राज्यों के चुनाव में वोटरों को लुभाने के तमाम तरीके अपनाये गये। लेकिन सबसे ज्यादा वादे खैरात के हुए। मुफ्त में जनता को काफी कुछ देने की घोषणाएं की गईं। पानी-बिजली, लैपटॉप, साइकलें, नकदी और भी काफी कुछ। पहले भी कई तरह की घोषणाएं होती रहीं और लोक सभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने तो नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी की सिफारिश पर 8,000 रुपये का बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की। एक पार्टी ने तो लड़कियों की शादी में मंगल सूत्र तो एक अन्य ने सोने के लॉकेट का वादा किया था। यानी सरकारी खजाने को लुटाने का पूरा इंतजाम रहा। नतीजा सामने है, सारे राज्य कर्ज में डूबे हुए हैं।
यह मुफ्तखोरी देश को बर्बाद करके छोड़ेगी
- अर्थतंत्र
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- 24 Apr, 2022

चुनाव के दौरान मुफ्तखोरी के दावे करके तमाम राजनीतिक दल देश को गलत दिशा में ले जा रहे हैं। इससे देश की तरक्की के रास्ते बंद नहीं होंगे, बल्कि बंद होंगे। आम आदमी पार्टी के संयोजक ने इसे सफलता का शॉर्टकट फॉर्म्युला मान लिया है, लेकिन वो गलतफहमी में हैं।
पंजाब में जहां राज्य सरकार पहले से ही 2.8 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबी हुई है, वहां भी मुफ्त बिजली-पानी की घोषणा हुई और महिलाओं के लिए हजार रुपये प्रति माह नकदी देने की भी घोषणा की गई है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के सफल फॉर्मूले को वहां भी अपनाया। 300 यूनिट बिजली फ्री की घोषणा को लागू भी कर दिया गया जबकि वहां बिजली की भारी किल्लत है और अभी हाल में ही वहां 8 घंटे तक की कटौती हुई है। इसका कारण यह बताया गया कि कोयले का संकट है।