देश में इलेक्ट्रिक कारों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने न केवल नीतियाँ बनाईं बल्कि राज्य स्तर पर सब्सिडी वगैरह की घोषणा भी की। इसके तहत ही एक इनका यानी इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक स्कीम भी बनाई गई है जो जारी है। इसमें ऐसे कार निर्माताओं को छूट देने के अलावा इम्पोर्ट में कुछ छूट और कुछ इंसेंटिव भी दिये गये हैं। पीएम ई ड्राइव स्कीम भी सितंबर 2024 में घोषित की गई। इन सभी का लक्ष्य यह था कि देश में 2030 तक कुल 30 फ़ीसदी कारें बिजली से चलने वाली हों ताकि पर्यावरण प्रदूषण में कमी हो। इसके लिए फेम 1 और फेम 2 सब्सिडी की घोषणा भी की गई थी। इसके अलावा टैक्स में कई तरह की छूट खरीदारों को दी गई है।
नीतियाँ बनीं, तो भी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री क्यों नहीं बढ़ रही?
- अर्थतंत्र
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- मधुरेंद्र सिन्हा
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- 25 Mar, 2025
मधुरेंद्र सिन्हा
सरकार की नीतियों और सब्सिडी के बावजूद भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री उम्मीद से कम क्यों है? चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, कीमत, और उपभोक्ता भरोसे की क्या भूमिका है? जानें विस्तार से।
राज्यों ने अपने-अपने स्तर पर भी इलेक्ट्रिक कारों, बाइक वगैरह की खरीदारी पर छूट देने की घोषणा की। मसलन, दिल्ली सरकार ने 2024 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या कुल संख्या का 25 फ़ीसदी तक ले जाने की घोषणा की थी। लेकिन यह विफल हो गई। यह संख्या उससे काफ़ी कम रही। हालाँकि ग्राहकों को दस हजार रुपये की सब्सिडी भी मिलती रही। अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गुजरात, असम, बंगाल वगैरह में अच्छी सब्सिडी के कारण बिक्री बढ़ी लेकिन उस सीमा तक नहीं जैसा सरकारों ने सोचा था। इससे फिर एक बार यह मुद्दा गरम हो गया है कि आख़िर इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री क्यों नहीं रफ्तार पकड़ रही है? आज स्थिति यह है कि देश में कारों की कुल बिक्री में इन कारों का प्रतिशत महज 2.4 है। आइये देखते हैं कि मुख्य वजह क्या हैः
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मधुरेंद्र सिन्हा
लेखक नवभारत टाइम्स के संपादक रह चुके हैं।