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वैश्विक दबाव में भारत के शेयर बाज़ार में ख़ूब-ख़राबा, सेंसेक्स 2600 अंक गिरा

वैश्विक संकेतों के कारण बेंचमार्क शेयर बाजार सूचकांकों में सोमवार को भारी गिरावट दर्ज की गई। कहा जा रहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी के बढ़ते जोखिम और मध्य पूर्व में तनाव के कारण शेयर बाज़ार में ख़ून-ख़राबा हुआ।

बीएसई सेंसेक्स में 3 फ़ीसदी से भी ज़्यादा गिरावट दर्ज की गई। एक समय क़रीब साढ़े ग्यारह बजे के आसपास सेंसेक्स 2600 अंक गिरकर 78,288.19 और निफ्टी साढ़े चौर सौ अंक से ज़्यादा गिरकर 23916 अंक पर पहुँच गया था। 11:52 बजे सेंसेक्स 2.92 फ़ीसदी गिरावट के साथ 78,620 अंक पर और निफ्टी भी क़रीब इतनी ही गिरावट के साथ 23,994 अंक पर व्यापार कर रहा था।

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इससे पहले सुबह 9:15 बजे एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 1672.88 अंक गिरकर 79,309.07 पर था, जबकि एनएसई निफ्टी 50 414.85 अंक गिरकर 24,302.85 पर कारोबार कर रहा था।

अधिकांश अन्य व्यापक बाजार सूचकांक भी नकारात्मक क्षेत्र में कारोबार कर रहे थे, जिसमें स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में बेंचमार्क के बराबर गिरावट आई।

किस वजह से है ये ख़ून-ख़राबा

शुक्रवार को बाजार खुलने के बाद जारी किए गए आंकड़ों से पता चला कि जुलाई में अमेरिकी नौकरियों की वृद्धि दर उम्मीद से अधिक धीमी रही, जिससे आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ गई और वैश्विक इक्विटी पर इसका असर पड़ा। 

दुनिया भर के निवेशक मध्य पूर्व में बदलते हालात पर भी नज़र रख रहे हैं। तेहरान में हमास नेता इस्माइल हनीया की कथित तौर पर इज़राइल द्वारा हत्या के बाद मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है।

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शुक्रवार को बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 और एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स ने सूचना प्रौद्योगिकी शेयरों के दबाव में 14 साल से अधिक समय में अपनी सबसे लंबी साप्ताहिक बढ़त का सिलसिला तोड़ दिया था। उम्मीद से कमजोर अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों ने वैश्विक स्तर पर बिकवाली को बढ़ावा दिया।

रुपया भी सुस्ती के साथ खुला और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.80 के सर्वकालिक निम्न स्तर पर पहुंच गया। विश्व बाजारों में जोखिम की स्थिति के कारण डॉलर मजबूत बना रहा।

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क़मर वहीद नक़वी
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