भारतीय जनता पार्टी ने 18वीं लोक सभा में मनचाही सीटें न मिलने की सजा भारत को देना तय किया है। अलग-अलग तरीक़े से हिंसा भड़का कर और तनाव बढ़ाकर। मणिपुर से असम रायफ़ल्स को हटाने के फ़ैसले पर राष्ट्रीय प्रेस ने ध्यान नहीं दिया।वैसे भी मणिपुर उनकी चिंता का विषय नहीं रहा है। लेकिन हमें तो उस पर सोचना ही चाहिए। असम रायफ़ल्स की दो बटालियनों को बिष्णुपुर और कांगपोकपी से हटाकर जम्मू कश्मीर और नागालैंड भेजा गया है। कुकी समुदाय के नेताओं ने इस कदम की आलोचना की है। लेकिन मैतेयी संगठनों ने इसपर ख़ुशी ज़ाहिर की है। आख़िर यह उनकी माँग थी!
असम रायफ़ल्स के बारे में कहा जाता है कि वह मैतेयी समुदाय की हिंसा से कुकी समुदाय की रक्षा करती रही है। इसलिए मैतेयी संगठन उसे हटाना चाहते हैं। मणिपुर में हिंसा के 16 महीने गुजरने के बाद भी अगर संघीय सरकार का यही रुख़ है तो इससे यही नतीजा निकाला जा सकता है कि राज्य में हिंसा रोकने में उसकी कोई रुचि नहीं है। अभी जिरीबाम में हिंसा भड़क उठने की वजह क्या हो सकती है? यह ज़िला अब तक पहाड़ियों और घाटी में चल रही हिंसा से मुक्त था। लेकिन अब यह हिंसा का नया केंद्र है। हमार समुदाय के प्रमुख संगठन ने एलान कर दिया है कि मैतेयी समुदाय के साथ उसका किसी प्रकार का शांति का करार नहीं है।