मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की राजनीति शास्त्र की प्रोफ़ेसर सीमा पँवार को दंडित किए जाने की घटना से भारत के अध्यापक और छात्र समुदाय को चिंतित होने की आवश्यकता है। लेकिन वह चिंता कहीं दिखलाई नहीं पड़ रही। क्या या इस कारण है कि प्रोफ़ेसर पँवार मेरठ विश्वविद्यालय में  पढ़ाती हैं जो अब प्रतिष्ठित नहीं माना जाता? या यह इस कारण है कि अब इस तरह की घटनाओं को सामान्य माना लिया गया है? जब तक कोई जेल न जाए या किसी कि हत्या न हो या किसी के साथ शारीरिक हिंसा न की जाए, हमारा ध्यान नहीं जाता? हमने किसी शिक्षक संघ या छात्र संगठन का बयान नहीं देखा। प्रोफ़ेसर पँवार के विश्वविद्यालय में भी शिक्षक संघ होगा ही। लेकिन वह भी चुप है।