भारतीय राज्य-तंत्र का हिंदुत्ववादीकरण दस वर्षों में चरम पर पहुंच गया है। आरएसएस-भाजपा की हिन्दुत्व की नीति को अब प्रशासन के अफसरों ने अपना ली है। यह भयानक गिरावट है और इससे देश की शासन व्यवस्था को इसके नतीजे भुगतने ही होंगे। वो चाहे जिस रूप में सामने आए। जिन ताकतों को इसके खिलाफ बोलना चाहिए, खड़े होना चाहिए, उनकी चुप्पी असहनीय है। स्तंभकार और जाने-माने चिन्तक अपूर्वानंद की विचारोत्तेजक टिप्पणी सिर्फ सत्य हिन्दी परः