हिंदुओं के साथ क्या हो रहा है? वे अपने साथ क्या कर रहे हैं? या बेहतर यह पूछना होगा कि वे अपने साथ क्या होने दे रहे हैं? दुर्गा पूजा से बेहतर और कौन सा अवसर है जब यह सवाल किया  जाए? यह लिखते ही मन में प्रश्न उठा कि क्या देवी के समक्ष जाने पर किसी प्रकार का हिंदू भाव जाग्रत होता है।पूजा के समय हम क्या ख़ुद को अधिक हिंदू महसूस करते हैं? सवाल ज़रा अटपटा मालूम पड़ सकता है लेकिन किया ही जा सकता है कि देवी के समक्ष हम देवी के आराधक हैं या हिंदू हैं?