दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के लिए चुनाव संपन्न हो गए हैं। लेकिन नतीजा नहीं आया अहि क्योंकि वोटों की गिनती  दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के कारण रुकी हुई है। अदालत नाराज़ है कि छात्र  संघ चुनाव धन और बाहुबल का खुला खेल बन गया है जबकि इसे जनतंत्र का जश्न होना चाहिए था। अदालत के सामने  एक सामान्य नागरिक ने अर्ज़ी लगा कर शिकायत की थी कि चुनाव प्रचार के दौरान दीवारों को उम्मीदवारों के पोस्टरों से पाट दिया गया और   सड़कों पर इनके नाम की पर्चियों से कई परतें बन गईं।

उम्मीदवारों के नामों के दैत्याकार बैनर इस तरह टाँगे गए कि बसों और गाड़ियों का आना जाना मुश्किल हो गया। इन बैनरों को उतारने ने और दीवारों को साफ़ करने के लिए  म्यूनिसिपैलिटी को अपने लोग  और पैसा लगाना पड़ा। वह भी उसने तब किया यह याचिका सुनते हुए अदालत ने अधिकारियों को फटकार लगाई। शिकायत यह थी कि छात्र संघ उम्मीदवारों ने सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुँचाया है और उन्हें कुरूप किया है।