RSS के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को कहा कि धर्म-आधारित आरक्षण भारतीय संविधान के निर्माता बी. आर. आम्बेडकर के विचारों के खिलाफ है। दत्तात्रेय होसबाले ने यह बात बेंगलुरु में रविवार 23 मार्च को कही। बेंगलुरु में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का रविवार को समापन हो गया। सभा शुक्रवार से शुरू हुई थी। प्रतिनिधि सभा संघ का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है।
कर्नाटक विधानसभा में मुसलमानों को सार्वजनिक ठेकों में 4% आरक्षण देने वाला एक विधेयक पारित किया गया। कर्नाटक मंत्रिमंडल ने कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (KTPP) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी, जिसमें मुसलमानों के लिए 2 करोड़ रुपये तक के (सिविल) कार्यों और 1 करोड़ रुपये तक के सामान/सेवा खरीद ठेकों में 4 प्रतिशत आरक्षण तय किया गया। यह घोषणा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने 2025-26 के बजट में 7 मार्च को की थी।
कर्नाटक में आरएसएस और BJP ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है और इसे “असंवैधानिक” और “तुष्टिकरण की राजनीति” का उदाहरण बताया है। BJP नेताओं का तर्क है कि इस तरह का धर्म-आधारित कोटा अन्य पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। विधेयक के पारित होने के दौरान कर्नाटक विधानसभा में काफी हंगामा हुआ, जिसमें BJP विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया और बाद में उन्हें निलंबित कर दिया गया।
औरंगजेब विवाद पर भी बोलाः महाराष्ट्र में 17वीं सदी के मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे को लेकर विवाद पर एक सवाल के जवाब में RSS नेता होसबाले ने टिप्पणी की कि औरंगजेब को एक प्रतीक बनाया गया, न कि उनके भाई दारा शिकोह को, जो सामाजिक सद्भाव में विश्वास करते थे।
बेंगलुरु में क्या संकल्प लियाः आरएसएस ने अपने प्रस्ताव में बिना किसी भेदभाव वाले समाज, मूल्य-आधारित परिवार और सामंजस्यपूर्ण हिंदू समाज के निर्माण के लिए प्रस्ताव पारित किया। बेंगलुरु में आरएसएस ने संघ शताब्दी के अवसर पर विश्व शांति और समृद्धि के लिए एक सामंजस्यपूर्ण और संगठित हिंदू समाज के निर्माण का संकल्प जताया है। यह संकल्प बेंगलुरु में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (एबीपीएस) में लिया गया।
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