जय श्रीराम आज की तारीख़ में एक राजनीतिक नारा भर नहीं है, वह अपने वर्चस्व का दंभ भरा उद्घोष भी है। इसे किसी इमारत को तोड़ते हुए, कोई दंगा करते हुए, कहीं आग लगाते हुए, किसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते हुए- कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह उद्घोष किस तरह जाने-अनजाने एक नया अवचेतन बना रहा है, यह बीते दिनों ग़ाज़ियबाद के एक स्कूल में नज़र आया। एक बच्चे को पता नहीं क्या सूझी कि उसने अपनी डेस्क पर लिख दिया- जय श्रीराम।