तवलीन सिंह एक जानी-मानी स्तंभ लेखक हैं। गत 8 दिसंबर 2024 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित उनके कॉलम में उन्होंने अफगानिस्तान में महिलाओं के चिकित्सा विज्ञान पढ़ने पर प्रतिबंध की चर्चा की है। यह प्रतिगामी कदम उठाने के लिए उन्होंने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार की बहुत तीखे शब्दों में आलोचना की है और यह ठीक भी है। इसी स्तंभ में उन्होंने यह भी लिखा है कि वामपंथी-उदारवादी तालिबान के प्रति सहानुभूति का रूख रखते हैं। यह कहना मुश्किल है कि उदारवादी-वामपंथियों के तालिबान और ईरान (जहां के शासकों की भी महिलाओं के बारे में वैसी ही सोच है) के प्रति रूख के बारे में तवलीन सिंह की टिप्पणी कितनी सही है। तवलीन सिंह ने उन लोगों की भी आलोचना की है जो हिन्दू राष्ट्रवादियों की नीतियों और कार्यक्रमों की तुलना तालिबान से करते हैं।
महिलाओं पर तालिबान और हिंदुत्ववादी राष्ट्रवाद की कैसी राय?
- विचार
- |
- |
- 15 Dec, 2024

द इंडियन एक्सप्रेस में तवलीन सिंह ने एक लेख लिखा है और उन लोगों की आलोचना की है जो हिन्दू राष्ट्रवादियों की नीतियों और कार्यक्रमों की तुलना तालिबान से करते हैं। तवलीन सिंह के तर्कों पर राम पुनियानी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
हिन्दू राष्ट्रवादियों और तालिबान की नीतियाँ और कार्यक्रमों में परिमाण या स्तर का फर्क हो सकता है, मगर दोनों में मूलभूत समानताएँ हैं। तालिबान, खाड़ी के कई देशों और ईरान की महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं परंतु एकदम एक समान नहीं हैं। बल्कि किन्हीं भी दो देशों की नीतियां एकदम एक-सी नहीं हो सकतीं। परंतु सैद्धांतिक स्तर पर हम उनमें समानताएं ढूंढ सकते हैं। इन देशों में धार्मिक कट्टरता में बढ़ोत्तरी की शुरुआत 1980 के दशक में ईरान में अयातुल्लाह खुमैनी के सत्ता में आने के साथ हुई। खुमैनी ने ईरान का सामाजिक-राजनैतिक परिदृश्य पूरी तरह से बदल दिया।