सरदार भगत सिंह का नाम ज़ेहन में आते ही एक ऐसे जोशीले नौजवान का चेहरा उभरता है, जो अकेले दम पर हिन्दुस्तान की धरती को गोरी हुकूमत से मुक्त कराने का हौसला और जज़्बा रखता था। वही भगत सिंह जिसने असेंबली में बम फेंका था और हँसते हँसते फाँसी के फंदे को चूम लिया था। अगर आप भी यही जानते हैं तो माफ़ कीजिए आप सरदार भगत सिंह को रत्ती भर नहीं जानते। आज मैं आपको भगत सिंह का वह रूप दिखाना चाहता हूँ जो आपके लिए एकदम नया है। यह रूप एक ऐसे पत्रकार और लेखक का है, जो अपने विचारों के तेज़ से देश की देह में हरारत पैदा कर देता था। हम और आप को वहाँ तक पहुँचने के लिए कई उम्र चाहिए ,जहाँ भगत सिंह सिर्फ़ तेईस - चौबीस साल की आयु में जा पहुँचा था।

शहीद-ए-आजम भगत सिंह का आज 23 मार्च को बलिदान दिवस है। भगत सिंह की प्रासंगिकता रहती दुनिया तक बरकरार रहेगी, उन्हें विविध रूपों में याद किया जाता रहेगा। यहां तक दक्षिणपंथी भी भगत सिंह को गले लगाने की कोशिश करते हैं, लेकिन जैसे ही भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों की बात होती है दक्षिणपंथी बहस से भाग जाते हैं। कितने लोग जानते हैं कि भगत सिंह पत्रकार भी थे। वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट बादल सरोज ने पत्रकार भगत सिंह के बारे में विस्तार से बताया है। यह लेख जरूर पढ़िए और नई युवा पीढ़ी को पढ़ाइएः