भारत के घरेलू शेयर बाजार में ऐसा क्या हुआ कि विदेशी निवेशकों का एकदम से मोह भंग सा हो गया? 2024 में एफ़पीआई यानी विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के माध्यम से सिर्फ 1600 करोड़ रुपये आए। पिछले साल यह 1.71 लाख करोड़ था। यानी 99 फीसदी की गिरावट आ गई। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को अचानक ऐसा क्या हो गया कि घरेलू शेयर बाजार में 2024 में वे पैसे लगाने के लिए तैयार नहीं थे?