सरकारी कंपनी एलआईसी को शेयर बाज़ार में शुरुआती दिन और शुरुआती कारोबार में ही जोरदार झटका लगा है। आईपीओ आने के बाद शेयर बाजार में लिस्टिंग के दिन एलआईसी के शेयर इश्यू प्राइस से कम में खुले। हालाँकि, कुछ समय के लिए शेयरों के दाम बढ़े लेकिन फिर से वह नीचे की ओर ही रहा।
भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग है। सरकार के स्वामित्व वाली इस कंपनी को सबसे बड़े आईपीओ का जैसा तमगा था, वैसी इसकी शुरुआत शेयर बाज़ार में नहीं रही। पहले तो शेयर बाज़ार में इसके शेयर को 8 फ़ीसदी की कमी पर लिस्टिंग ही की गई और जब खरीद-फरोख्त शुरू हुई तो भी इसमें ज़्यादा उत्साहजनक असर नहीं देखा गया। मामूली बढ़ोतरी होने के बाद शेयर के दाम लुढ़क गए। तो इसके शेयरों के दाम के लुढ़कने के मायने क्या हैं? क्या एलआईसी के भविष्य को लेकर निवेशकों में उत्साह नहीं है?
सरकार ने राज्य के खजाने को फिर से भरने के उद्देश्य से निजीकरण की शुरुआत की है। इसी के तहत एलआईसी में निजी निवेश को आमंत्रित किया गया। इसे अब तक की सबसे बड़ी बिक्री के रूप में देखा गया। भारत के सबसे बड़े आईपीओ में 3.5% हिस्सेदारी बेची गयी।
हालाँकि शेयर बाज़ार में जब मंगलवार को एलआईसी के शेयरों की लिस्टिंग की गई तो एनएसई पर एलआईसी का लिस्टिंग का मूल्य 872 रुपये था। यह इश्यू प्राइस यानी निर्गम मूल्य से 8.11 प्रतिशत कम था।
माना जा रहा है कि 4 मई को एलआईसी का आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने के बाद से शेयर की कीमत में गिरावट व्यापक बाजार में मंदी को दर्शाती है।
एलआईसी के चेयरमैन एम. आर. कुमार ने भी संवाददाताओं से कहा, 'हम बड़ी लिस्टिंग की उम्मीद नहीं कर रहे थे क्योंकि बाजार में हलचल थी, उम्मीद है कि इसमें तेजी आएगी।'
शेयर बाज़ार में एलआईसी के शेयरों के इस तरह के कारोबार का एक अर्थ यह भी लगाया जा रहा है कि एलआईसी को लेकर निवेशकों में उत्साह की कमी रही। निवेशक इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों सहित एलआईसी के निवेश संबंधी फ़ैसले सरकार की मांगों से प्रभावित हो सकते हैं। बहरहाल, लिस्टिंग से पहले जो आईपीओ के कामयाब होने की ख़बर आई थी वह इस वजह से थी कि इसमें पॉलिसीधारकों, कर्मचारियों और खुदरा निवेशकों ने दिलचस्पी दिखाई। ऐसा होने का सबसे बड़ा कारण एलआईसी ब्रांड का मज़बूत होना है।
वैसे, एलआईसी भारतीय कंपनियों की एक श्रृंखला में ताजा कंपनी है जो लिस्टिंग के बाद तेजी से गिर गई है। इससे पहले पेटीएम ने पिछले साल नवंबर में अपनी शुरुआत में 2 बिलियन डॉलर के आईपीओ के बाद गिरावट दर्ज की थी। वह उस समय भारत का सबसे बड़ा आईपीओ था और इसके शेयर अब उनके आईपीओ मूल्य के चौथाई से अधिक नहीं हैं।
फूड डिलीवरी फर्म जोमैटो लिमिटेड और कॉस्मेटिक्स रिटेलर Nykaa जैसी अन्य बड़ी लिस्टिंग वाली कंपनियाँ भी अपने आईपीओ की कीमतों पर बड़ी छूट पर कारोबार कर रही हैं।
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