“इस देश में जाति के आधार पर ही पदों, लाभों का वितरण और उत्पीड़न होता है। देश की जनसँख्या के कुल 15 प्रतिशत सवर्णों और उनके सहयोगियों ने पदों, लाभों और सत्ता के सभी स्रोत एवं संसाधनों को हथिया रखा है। इसलिए इस अन्यायपूर्ण स्थिति की समाप्ति के लिए बहुजन समाज को एकजुट होकर राजनीतिक सत्ता पर काबिज़ होने के लिए संघर्ष करना होगा।” कांशीराम द्वारा कही गई इस बात में आज भी उतनी ही सच्चाई है जितनी उस समय थी।