राहुल गांधी लड़ना बीजेपी से चाहते हैं लेकिन लड़ते हुए दिख रहे हैं
क्षेत्रीय दलों से। उदयपुर के नव चिन्तन शिविर के बाद राहुल गांधी ने राजनीतिक
लड़ाई में कांग्रेस ही नहीं,संभावित सहयोगियों को भी उलझन में डाल दिया है।
क्षेत्रीय दलों के पास विचारधारा नहीं है और वे बीजेपी से नहीं लड़
सकते- ये दोनों बातें तथ्यात्मक रूप से भी गलत हैं और रणनीतिक रूप से भी।
क्षेत्रीय दलों में ज्यादातर ऐसे हैं जिन्होंने कांग्रेस और बीजेपी दोनों से लड़कर
खुद को खड़ा किया है। बगैर विचारधारा के दो-दो विचारधाराओं को परास्त करना कैसे
संभव हो सकता है?
मुद्दा यह नहीं है कि राहुल गांधी तथ्यात्मक रूप से गलत बोल रहे हैं।
मुद्दा यह है कि राहुल ने अपना नया राजनीतिक दुश्मन खड़ा कर लिया है। क्षेत्रीय
दलों को ही दुश्मन समझ लिया है। ऐसा करके उन्होंने बीजेपी की ही मदद की है। यह खुद
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए की सोच के खिलाफ है। जाहिर है कि कांग्रेस की
पार्टी लाइन के भी खिलाफ है।
क्षेत्रीय दलों पर हमला कर राहुल ने बीजेपी को मजबूत किया
- राजनीति
- |
- 29 Mar, 2025
हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि क्षेत्रीय दल बीजेपी का विरोध नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास कोई विचारधारा नहीं है। लेकिन राहुल का बयान गलत है, क्षेत्रीय दलों ने हमेशा कांग्रेस को खड़े होने में मदद की है। राहुल का बयान राजनीतिक रूप से सही नहीं कहा जा सकता।
