बीमा निजीकरण का सरकारी और उदारीकरण अभियान का मिशन पूरा होने को है। इस बार बजट में सौ फ़ीसदी विदेशी पूंजी वाली बीमा कंपनियों के लिए दरवाजे खोले जा चुके हैं। और उम्मीद की जा रही है कि संसद के इसी सत्र में सरकार नया बीमा संशोधन विधेयक पास कराने का प्रयास करेगी और जो स्थिति है उसमें इसे पास कराने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। इस बार मज़दूर संगठनों से और किसी अन्य संगठित से विरोध के लक्षण अभी तक नहीं दिखे हैं।