देश की अर्थव्यवस्था का ग़ज़ब हाल है! एफ़डीआई 12 साल के निचले स्तर पर पहुँच गई है। और भारतीय कंपनियों का विदेशों में निवेश भी 12 साल के शिखर पर है। यानी दोनों तरफ़ से पैसे देश से बाहर ही जा रहे हैं। भारत में विदेशी निवेशक जो पैसे लगाए हुए थे वे तो पैसे लेकर भाग ही रहे हैं, भारतीय निवेशक भी अब भारत की तुलना में विदेशों में पैसे लगा रहे हैं। अपर्याप्त पैसे वाली अर्थव्यवस्था कितनी मज़बूत होगी? इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि ख़ून की कमी वाला शरीर किस हालत में हो सकता है?
विदेशी निवेश निकाल रहे, देश के विदेश भेज रहे; तो अर्थव्यवस्था कैसे संभलेगी?
- अर्थतंत्र
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- 6 Jan, 2025
भारत की अर्थव्यवस्था चक्रव्यूह में फँस गई है? आख़िर विदेशी निवेशक एफ़डीआई क्यों निकाल रहे हैं और देश के निवेशक विदेशों में पैसा लगा रहे हैं?

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश यानी एफ़पीआई में रिकॉर्ड गिरावट आने की ख़बर के बाद अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई में रिकॉर्ड गिरावट की ख़बर आई है। पिछले वर्षों की समान अवधि की तुलना में इस वित्त वर्ष की अप्रैल से अक्टूबर अवधि में भारत में शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफ़डीआई प्रवाह 12 साल के निचले स्तर पर आ गया। इसके अलावा इस वित्त वर्ष में अब तक भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए विदेशों में निवेश में भी तेजी से वृद्धि हुई है। वैसे, यह दोनों ही स्थिति देश की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है।