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क्या केजरीवाल का 'शीशमहल' बनाम पीएम का 'राजमहल' होगा?

प्रधानमंत्री मोदी ने अरविंद केजरीवाल के सीएम रहते बने 'शीशमहल' को लेकर हाल ही में हमला किया था, लेकिन अब खुद मोदी सरकार द्वारा बनवाया जा रहा आवास ही सुर्खियों में है। जहाँ केजरीवाल के 'शीशमहल' की अनुमानित लागत क़रीब 7 करोड़ रुपये थी, टेंडर क़रीब 8 करोड़ का हुआ और खर्च 33 करोड़ रुपये हुआ, वहीं पीएम मोदी के आवास की अनुमानित लागत 467 करोड़ रुपये है। अब वास्तविक लागत का पता तो बाद में ही चलेगा, लेकिन कहा जा रहा है कि यह काफ़ी ज़्यादा हो सकती है। यानी दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा कराए गए रेनोवेशन पर ख़र्च से कई गुना ज़्यादा पीएम आवास पर ख़र्च होगा। तो क्या आम आदमी पार्टी इसे 'शीशमहल' बनाम 'राजमहल' का मुद्दा बना सकती है?

वैसे, प्रधानमंत्री मोदी खुद ही 'शीशमहल' को लेकर अरविंद केजरीवाल पर हमला करते रहे हैं। दिल्ली में दो जन सभाओं में इसको लेकर पीएम ने केजरीवाल पर निशाना साधा है। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने कहा था कि 'शीशमहल झूठ का उदाहरण है।'

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प्रधानमंत्री ने कहा कि वे झूठा आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार उन्हें पैसे नहीं देती और काम नहीं करने देती। उन्होंने कहा, "उनका शीशमहल उनके झूठ को उजागर करता है। एक प्रमुख अखबार ने सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर ‘शीशमहल’ पर हुए खर्च का खुलासा किया है।' प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि जब दिल्ली कोविड-19 से जूझ रही थी, तब उनका पूरा ध्यान ‘शीशमहल’ बनाने पर था।

वैसे, कोविड काल में ही प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा का काम शुरू हुआ था, जिसके अंतर्गत ही पीएम का आवास भी शामिल है। तब मोदी सरकार पर भी लगातार सवाल उठे थे कि जब कोविड काल में लोगों को मदद की ज़रूरत थी तो प्रधानमंत्री मोदी ने हज़ारों करोड़ रुपये की परियोजना क्यों शुरू की, जबकि नये संसद भवन से लेकर पीएम आवास और पीएमओ की अभी वैसी कोई ज़रूरत नहीं है।

बहरहाल, पीएम ने जिस 'शीशमहल' को लेकर हमला किया है उसको लेकर द इंडियन एक्सप्रेस ने एक दिन पहले ही एक रिपोर्ट छापी है और इसी रिपोर्ट के मुद्दे को पीएम ने दिल्ली की जनसभा में उठाया। मोदी ने कहा कि उन्होंने ‘शीशमहल’ के लिए भारी भरकम बजट आवंटित किया और अखबार ने बताया है कि उन्होंने आवंटित बजट से लगभग तीन गुना अधिक खर्च किया।
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अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सीएजी की रिपोर्ट से पता चला है कि केजरीवाल के सरकारी आवास का रिनोवेशन प्रस्तावित लागत से तीन गुना अधिक कीमत में किया गया। केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते हुए इस सरकारी आवास की मरम्मत का काम लोक निर्माण विभाग द्वारा किया गया था। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार शुरू में रिनोवेशन की लागत 7.91 करोड़ रुपये बताई गई थी।

जानिए, पीएम के आवास में क्या खास, सुरंग क्यों

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास परिसर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण और हाई-प्रोफाइल हिस्सा है। दिप्रिट की रिपोर्ट के अनुसार यह दिल्ली के साउथ ब्लॉक के पास दारा शिकोह रोड पर ब्लॉक ए और बी में बनाया जाएगा। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि यह परिसर कुल 2,26,203 वर्ग फीट के निर्मित क्षेत्र में बनेगा और इसकी अनुमानित लागत 467 करोड़ रुपये है। कुल निर्मित क्षेत्र में से प्रधानमंत्री का आवास 36,328 वर्ग फीट क्षेत्र में फैला होगा।

रिपोर्ट के अनुसार ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर पर प्रधानमंत्री के मुख्य आवास के अलावा, इस परिसर में पीएम का गृह कार्यालय, एक इनडोर खेल सुविधा, सहायक कर्मचारियों के लिए क्वार्टर, एक विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) कार्यालय, एक सेवा सदन व अन्य सुविधाएं और एक सुरक्षा कार्यालय भी होगा। परिसर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भूमिगत वीआईपी सुरंग होगी, जिस तक पीएम के गृह कार्यालय से पहुंचा जा सकेगा। यह पीएम के आवास को सीधे एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव से जोड़ेगा, जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ, नई संसद और उपराष्ट्रपति का आवास होगा। 

सुरंग की ज़रूरत क्यों?

दिप्रिंट ने सरकारी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि भूमिगत सुरंग बनाने का प्रस्ताव पीएम और उनके दल की आवाजाही के दौरान प्रतिबंधों और बैरिकेडिंग के कारण सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में अक्सर होने वाली यातायात बाधाओं को कम करने में मदद करने के लिए बनाया गया था। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का संचालन कर रहे केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास परिसर को पूरा करने और सौंपने के लिए सितंबर 2024 की समय सीमा तय की है। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि प्रस्ताव को मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय की व्यय एवं वित्त समिति के समक्ष जल्द ही पेश किए जाने की संभावना है। 

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सेंट्रल विस्टा योजना नरेंद्र मोदी सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। इसका उद्देश्य दिल्ली के पावर कॉरिडोर को पूरी तरह से नया रूप देना है। इस परियोजना में एक नया संसद भवन, एक कॉमन सेंट्रल सचिवालय का निर्माण शामिल है, जिसमें सभी केंद्रीय सरकारी मंत्रालय और विभाग होंगे, साथ ही सेंट्रल विस्टा एवेन्यू और एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव भी शामिल हैं। त्रिकोण के आकार की नई संसद बनाने का काम पहले से ही चल रहा है, जिसके नवंबर तक तैयार होने की उम्मीद है। इसके अलावा, कॉमन सचिवालय पर भी काम शुरू हो गया है, जिसमें शास्त्री, निर्माण, उद्योग, कृषि और वायु भवन सहित सरकारी कार्यालयों को समायोजित करने के लिए 10 नए भवन ब्लॉक होंगे।

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क़मर वहीद नक़वी
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