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आर्थिक सर्वे 2025ः आशावादी आंकड़ों के बावजूद विकास की रफ्तार सुस्त

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 ने भारत की आर्थिक प्रगति, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तृत प्रकाश डाला है। लेकिन आर्थिक सर्वे बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई दूर करने के उपायों पर कुछ भी ठोस नहीं कह सका है। कमजोर निवेश और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में गिरावट के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 4 साल की सबसे कम गति 6.4 प्रतिशत से बढ़ने का अनुमान है। यह पिछले साल के आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमानित 6.5-7 प्रतिशत की बढ़ोतरी और भारतीय रिज़र्व बैंक के 6.6 प्रतिशत अनुमान से कम है। यानी एक तरह से कह सकते हैं कि आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार का प्रदर्शन बेहतर नहीं है।

आर्थिक विकास दर (GDP Growth Rate)

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) विकास दर को लेकर आशावादी अनुमान व्यक्त किए गए हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, भारत की GDP विकास दर 2024-25 में 6.3% से 6.8% के बीच रहने का अनुमान है। यह अनुमान ग्लोबल आर्थिक मंदी और घरेलू चुनौतियों के बावजूद है। हालांकि, यह अनुमान सरकारी अर्थशास्त्रियों को अत्यधिक आशावादी लग सकता है, क्योंकि ग्लोबल अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता और घरेलू स्तर पर बेरोजगारी और मुद्रास्फीति जैसी समस्याएं अभी भी मौजूद हैं।

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मुद्रास्फीति (Inflation)

सर्वेक्षण में एक तरफ महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार की नीतियों की सराहना की गई है। लेकिन दूसरी तरफ यह भी कहा गया है कि खाद्य और ईंधन की कीमतों में उतार-चढ़ाव महंगाई को प्रभावित कर सकते हैं। सर्वेक्षण में मुद्रास्फीति को 2024-25 में 4.5% से 5% के बीच रहने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान केंद्रीय बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति के अनुरूप है। लेकिन सरकार को यह तय करना होगा कि महंगाई नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम विकास दर को प्रभावित न करें।

रोजगार और बेरोजगारीः आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में रोजगार सृजन को एक प्रमुख चुनौती के रूप में स्वीकार किया गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने की जरूरत है। हालांकि, सर्वेक्षण में इस बात पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है कि कैसे सरकार इस चुनौती का सामना करेगी। क्या नई नीतियों और योजनाओं को लागू किया जाएगा, या मौजूदा योजनाओं को और प्रभावी बनाया जाएगा, इस पर स्पष्टता का अभाव है। यह बहुत खलने वाली बात है कि आप बेरोजगारी की भयावहता को स्वीकार कर रहे हैं लेकिन उपाय नहीं बता रहे हैं।

विदेशी निवेश 

सर्वेक्षण में विदेशी निवेश (FDI) को लेकर सकारात्मक रुझान दिखाया गया है। दावा किया गया है कि भारत में विदेशी निवेशकों का विश्वास बना हुआ है, और सरकार ने इसके लिए अनुकूल नीतियां बनाई हैं। एफडीआई आमद ने 2024-25 के पहले आठ महीनों में पुनरुद्धार (revival) के संकेत दिखाए हैं। हालांकि बाद में विदेशी निवेशकों ने पैसे निकाल लिये जिससे अप्रैल-नवंबर 2023 के मुकाबले शुद्ध एफडीआई आमद में गिरावट आई है। बहरहाल, यह तय करना होगा कि यह निवेश देश के विकास में योगदान दे और भारतीय उद्योगों को प्रतिस्पर्धा का सामना करने में मदद करे।

कृषि क्षेत्रः कृषि क्षेत्र को आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में चिह्नित किया गया है। सर्वेक्षण में कृषि उत्पादकता बढ़ाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए नई तकनीकों और नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कैसे इन लक्ष्यों को प्राप्त किया जाएगा, खासकर जब कृषि क्षेत्र अभी भी मौसम की अनिश्चितता और बाजार की अस्थिरता से जूझ रहा है। मोदी सरकार पिछले 10 वर्षों से किसानों की आमदनी दोगुना करने का राग अलाप रही है लेकिन एक और बजट आने वाला है और जमीनी हकीकत कुछ और नजर आ रही है। अगर किसानों की आय बढ़ रही होती तो देशभर में पूरे साल किसान आंदोलन अलग-अलग राज्यों में न चल रहे होते।

स्वास्थ्य और शिक्षा 

आम लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा और सेहत हमेशा सरकारों के लिए गैर जरूरी रहे हैं। वैसे तो आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई है। सर्वेक्षण में COVID-19 महामारी के बाद स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और शिक्षा प्रणाली में डिजिटल परिवर्तन को बढ़ावा देने की जरूरत पर जोर दिया गया है। हालांकि, इन क्षेत्रों में निवेश और नीतियों को लागू करने को लेकर स्पष्ट रोडमैप का अभाव है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में प्रस्तुत आर्थिक विकास दर और अन्य आंकड़े काफी आशावादी लगते हैं। लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या ये अनुमान वास्तविकता पर आधारित हैं। ग्लोबल आर्थिक मंदी, यूक्रेन संकट, और घरेलू स्तर पर बेरोजगारी और महंगाई जैसी समस्याओं को देखते हुए, यह अनुमान कुछ हद तक अवास्तविक लग सकते हैं।
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बहरहाल, आर्थिक सर्वेक्षण 2025 से बजट 2025 के संभावित रुझानों का अंदाजा लगाया जा सकता है। सर्वेक्षण में जिन क्षेत्रों पर जोर दिया गया है, जैसे कि कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, और रोजगार सृजन, उन पर बजट 2025 में भी ध्यान दिया जा सकता है। इसके अलावा, सर्वेक्षण में महंगाई और आर्थिक विकास दर को लेकर जो अनुमान व्यक्त किए गए हैं, उनके आधार पर बजट में टैक्स नीतियों और सरकारी खर्च में बदलाव किए जा सकते हैं। हालांकि, यह ध्यान रखना होगा कि आर्थिक सर्वेक्षण केवल एक दस्तावेज है और बजट में इससे अलग नीतियां भी शामिल हो सकती हैं। बजट 2025 में सरकार की राजनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताएं भी शामिल होंगी, जो सर्वेक्षण में पूरी तरह से शामिल नहीं होती हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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