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आबकारी नीति से 2002 करोड़ की चपत- सीएजी रिपोर्ट; केजरीवाल को झटका

दिल्ली आबकारी नीति केस में अरविंद केजरीवाल को झटका लगा है। सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्ववर्ती केजरीवाल सरकार की इस नीति से सरकार को 2002 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ। दिल्ली में बीजेपी सरकार ने विधानसभा में इस रिपोर्ट को पेश किया। बीजेपी लगातार आबकारी नीति मामले में केजरीवाल और आप पर हमलावर रही है। सीएजी की यह रिपोर्ट पेश किए जाने से पहले इस मुद्दे पर सदन में हंगामे पर आतिशी सहित 21 आप विधायक दो दिन के लिए निलंबित कर दिए गए। आतिशी सदन में विपक्ष की नेता हैं।

हंगामे को लेकर विपक्षी विधायकों पर कार्रवाई के बीच ही विधानसभा में सीएजी की रिपोर्ट पेश की गई। इसके अनुसार, 2021-2022 की आबकारी नीति के कारण दिल्ली सरकार को कुल मिलाकर 2002 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कमजोर नीति ढाँचे से लेकर अपर्याप्त क्रियान्वयन तक की वजहें इस नुक़सान के लिए ज़िम्मेदार हैं। यह सीएजी रिपोर्ट पिछली आम आदमी पार्टी सरकार के प्रदर्शन पर 14 में से एक है, जिसे रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा पेश किया जाना है। 

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आबकारी नीति मामले में पेश इस रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया में उल्लंघनों का भी ज़िक्र किया गया है। इसमें बताया गया है कि नीति में बदलाव सुझाने के लिए गठित एक विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया ने नजरअंदाज कर दिया था।

सीएजी की रिपोर्ट में सिलसिलेवार ढंग से इसका आँकड़ा दिया हुआ है कि किन वजहों से कितना नुक़सान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज़ोनल लाइसेंस जारी करने में छूट देने से लगभग 940 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ जबकि रिटेंडर प्रक्रिया से 890 करोड़ रुपये की चपत लगी। कोविड महामारी प्रतिबंधों की वजह से 28 दिसंबर 2021 से 27 जनवरी 2022 तक शराब कारोबारियों को लाइसेंस शुल्क में 144 करोड़ की छूट दी गई। इसके अलावा सिक्योरिटी डिपॉजिट सही से जमा नहीं करने से 27 करोड़ रुपये का राजस्व नुक़सान हुआ।

रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि कुछ खुदरा विक्रेता शराब नीति ख़त्म होने तक लाइसेंस का इस्तेमाल करते रहे लेकिन कुछ ने इन्हें समय से पहले ही सौंप दिया। मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल में दिलचस्पी रखने वाले कारोबरियों को थोक विक्रेता का लाइसेंस दिया गया और इससे एक तरह के लोगों का फ़ायदा हुआ।

सीएजी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सरकार ने आबकारी नियमों और शर्तों की जाँच किए बिना ही लाइसेंस जारी कर दिए।

आप विधायकों का निलंबन

दिल्ली विधानसभा के दूसरे दिन सत्र शुरू होने के कुछ ही मिनटों बाद स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने मंगलवार को विपक्ष की नेता आतिशी समेत 12 आप विधायकों को सदन से निष्कासित कर दिया। यह कार्रवाई उपराज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण में बाधा डालने के लिए की गई। यह तब हुआ जब आप विधायकों को बीआर अंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीरें हटाने के आरोप में बीजेपी के ख़िलाफ़ नारे लगाते देखा गया। इसके तुरंत बाद सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई। 

निलंबन के बाद आतिशी ने बीजेपी ने मुख्यमंत्री कार्यालय से आंबेडकर की तस्वीर हटाकर उनका अपमान किया है। उन्होंने कहा, 'बीजेपी ने बाबासाहेब आंबेडकर की तस्वीर हटाकर अपना असली चेहरा दिखा दिया है। क्या वह मानती है कि मोदी बाबासाहेब की जगह ले सकते हैं?' निलंबित आप विधायकों ने विधानसभा परिसर में आंबेडकर की तस्वीरों के साथ विरोध प्रदर्शन किया और 'बाबासाहेब का यह अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा हिंदुस्तान' के नारे लगाए।

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आबकारी नीति पर क्या विवाद रहा?

दिल्ली की नयी आबकारी नीति आप और बीजेपी के बीच विवाद का बड़ा मुद्दा रही है। जुलाई 2022 में उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने सीबीआई जाँच की सिफारिश की थी। इसके बाद बीजेपी ने नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाया था। बाद में कई मामलों में जाँच एजेंसियों ने अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह सहित आप के शीर्ष नेताओं को गिरफ़्तार किया। वे कई महीने जेल में बिताए हैं।

बता दें कि अगस्त 2021 में लाइसेंस आवंटित कर दिए गए थे और 17 नवंबर, 2021 से दुकानें चालू होनी थीं। इस बीच, दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 16 नवंबर, 2021 को एक आदेश जारी कर गैर-अनुपालन वाले क्षेत्रों में दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद लाइसेंसधारकों ने हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। 9 दिसंबर, 2021 को कोर्ट ने उन्हें 67 गैर-अनुपालन वाले वार्डों में अनिवार्य दुकानों के संबंध में किसी भी लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने से छूट दे दी। इसकी वजह से प्रति माह 114.50 करोड़ रुपये के लाइसेंस शुल्क से छूट मिली।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है)
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क़मर वहीद नक़वी
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