मोदी सरकार फासीवादी है या नहीं, इस पर खुद वाम दलों में बड़ा मतभेद हो गया है। वाम दलों में तो इसको लेकर विवाद चल ही रहा है, इसमें कांग्रेस भी कूद गई है। इन वजहों से मोदी सरकार की ‘फासीवादी प्रवृत्तियों’ को लेकर सीपीएम एक अजीब राजनीतिक दुविधा में फँस गई है।
सीपीएम ने क्यों कहा 'मोदी सरकार फासिस्ट नहीं'; सीपीआई, कांग्रेस क्या करेगी?
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- 25 Feb, 2025
सीपीएम के 'मोदी सरकार फासिस्ट नहीं' बयान से विपक्ष में हलचल तेज़ क्यों है? क्या इससे वामपंथी एकता पर असर पड़ेगा? सीपीआई और कांग्रेस की प्रतिक्रिया क्या होगी? जानिए पूरी रिपोर्ट।

दरअसल, यह दुविधा इसलिए आई कि सीपीएम की ओर से राज्य इकाइयों को एक नोट भेजा गया है। इसमें बताया गया है कि 24वीं पार्टी कांग्रेस के लिए उसके राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे में 'मोदी सरकार फासीवादी या नव-फासीवादी नहीं है' या 'भारतीय राज्य नव-फासीवादी राज्य' के रूप में नहीं है। उसने इसमें यह भी बताया है कि उसने ऐसा क्यों किया है। तमिलनाडु के मदुरै में अप्रैल महीने में सीपीएम की प्रस्तावित कांग्रेस के लिए तैयार इस राजनीतिक प्रस्ताव के मसौदे को 17 से 19 जनवरी तक कोलकाता में सीपीएम केंद्रीय समिति की बैठक में मंजूरी दे दी गई थी। अब इसके नोट राज्यों की ईकाइयों को भेजे गए हैं।