संविधान के 75 वर्ष हो गए हैं तो इन सालों में संविधान किस स्तर पर पहुँच पाया है? क्या संविधान के उन मूल्यों का पालन हो रहा है जो स्वाधीनता संग्राम के दौरान उपजे?
भारतीय संसद और भारतीय संविधान दांव पर लगे हुए हैं। याद कीजिए 2014 का वो सीन, जब मोदी ने बतौर पीएम संसद में जाने से पहले दंडवत प्रणाम किया था। आज उसी संसद और संविधान की मर्यादा तरह-तरह से तार-तार की जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह की टिप्पणीः
राहुल गांधी संविधान को लेकर अपने पुराने अंदाज में लौट आये हैं। रांची में एक कार्यक्रम में राहुल ने फिर से संविधान की कॉपी दिखाई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई तो आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा को खत्म कर देगी। उन्होंने कहा कि आज मीडिया, चुनाव आयोग, सीबीआई, ईडी आदि भाजपा के आदेश से चलते हैं।
विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा संविधान को मुद्दा बनाए जाने के बीच सत्ता पक्ष की ओर से आपातकाल को फिर से जोर-शोर से मुद्दा बनाया जा रहा है। आख़िर इस पर अब इतना जोर क्यों?
लोकसभा में गुरुवार को एक घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कड़े सवाल किए हैं? जानिए, आख़िर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की आपत्ति पर उन्होंने क्या कहा।
विपक्षी इंडिया गठबंधन ने संविधान को लेकर जो नैरेटिव चलाया है उसका असर मंगलवार को संसद में भी दिखा। जानिए, विपक्षी नेताओं ने शपथ ग्रहण के दौरान क्या किया।
लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने संविधान का मुद्दा बनाया था और सांसद के रूप में पीएम मोदी के शपथ लेने के दौरान भी। तो क्या विपक्ष के इसी नैरेटिव से मुक़ाबला करने के लिए पीएम मोदी ने 'आपातकाल' नैरेटिव का इस्तेमाल किया है।
उत्तर प्रदेश की 80 और महाराष्ट्र की 48 यानी कुल मिलाकर 128 सीटों में से भाजपा केवल 50 सीटें जीत सकी। इन प्रदेशों में भाजपा 40 फ़ीसदी सीटें भी जीतने में कामयाब नहीं हुई। जानें वजह।
बीजेपी के एक के बाद एक नेताओं के बयान क्यों आ रहे हैं कि संविधान बदलने के लिए 400 सीटें चाहिए? क्या संघ-बीजेपी संविधान बदलना चाहती है, और यदि हाँ तो क्यों?
लोकसभा चुनावों के बीच भाजपा के तमाम नेता लगातार संविधान बदलने के लिए 400 से अधिक सीटें जीतने की बात कर रहे हैं। संविधान बदलने की रट लगाने से बीजेपी को फायदा होगा या नुक़सान?
लोकसभा चुनावों के बीच भाजपा के तमाम नेता लगातार संविधान बदलने के लिए 400 से अधिक सीटें जीतने की बात कर रहे हैं। क्या बीजेपी ऐसा कर पाएगी? जानिए संविधान को लेकर संघ की क्या रही है सोच।
संविधान को ख़तरे में बताए जाने के बीच यह बात बड़े जोर-शोर से उठाई जा रही है कि भारत का संविधान बदला ही नहीं जा सकता। बीते एक हफ्ते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार यह बात कही है कि “मोदी तो क्या बाबा साहेब अंबेडकर भी संविधान को नहीं बदल सकते।”