जिस तरह मंडल आयोग की सिफारिशें लागू किये जाने पर राम  मंदिर के मुद्दे को गरम किया गया था, उसी तर्ज पर संविधान के मुद्दे की काट के लिए इमर्जेंसी के जिन्न को ज़िंदा किया जा रहा है। एक तर्क यह भी दिया जा रहा है कि आज की नई पीढ़ी को यह मालूम होना चाहिए कि किस तरह से संविधान को स्थगित कर इंदिरा गाँधी ने आपातकाल लागू किया था। तो नई पीढ़ी को यह भी बताना चाहिए कि 25 जून की रात आपातकाल लागू हुआ था, लेकिन उसकी पृष्ठभूमि में  इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा का 12 जून का इंदिरा गाँधी को प्रधानमंत्री पद से बेदखल करने का वह  निर्णय था, जिसके बारे में लंदन टाइम्स ने अपने संपादकीय में टिप्पणी की थी कि 'यह निर्णय ऐसा ही था कि जैसे ट्रैफिक उल्लघंन के लिए एक प्रधानमंत्री को अपने पद से बर्खास्त कर दिया जाए।'