2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत से रोकने में दो राज्यों की सबसे बड़ी भूमिका रही। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र देश के सबसे बड़े राज्य हैं। दोनों ही राज्य हिंदुत्व की प्रयोगशाला माने जाते हैं। दोनों राज्यों में लंबे समय से भाजपा सत्ता में है। इन राज्यों में भाजपा का अनेक छोटे-बड़े सहयोगी दलों के साथ गठबंधन भी है। महाराष्ट्र में भाजपा एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन सरकार में है। जून 2022 में उद्धव ठाकरे की महा विकास अघाड़ी की सरकार को गिराकर भाजपा ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे से बगावत करके एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर कब्जा कर लिया। ठीक इसी तरह भतीजे अजित पवार ने दो तिहाई से ज्यादा विधायक तोड़कर चाचा शरद पवार की एनसीपी पर कब्जा कर लिया। जाहिर तौर पर यह तोड़फोड़ केंद्र की मोदी सरकार के इशारे पर हुई थी। महाराष्ट्र में महायुति सरकार बनाने के पीछे असली मकसद लोकसभा चुनाव था। लेकिन महाराष्ट्र की 48 सीटों में से केवल 17 पर महायुति गठबंधन जीत सका। इसमें 9 पर भाजपा, 7 पर  शिवसेना और 1 पर एनसीपी ने जीत हासिल की। इसके बरक्स उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस ने मिलकर 30 सीटों पर जीत हासिल की। आश्चर्यजनक रूप से कांग्रेस को सर्वाधिक 13, शिवसेना (यूबीटी) को 9 और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) को 8 सीटें मिलीं। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के ज़रिए पार्टियों को तोड़कर और तमाम सामाजिक समीकरण साधकर भी महाराष्ट्र में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा।