अमेरिकी चुनाव में वाशिंगटन पोस्ट से लेकर लॉस एंजिलिस टाइम्स जैसे प्रतिष्ठित अखबारों की भविष्यवाणी गलत सिद्ध हो गई और एलोन मस्क के ट्विटर पर कुछ सौ लोगों के हैशटैग को AI ने इतना अधिक प्रचारित कर दिया कि जनता ने किसी और को ही जिता दिया।
देश का साधन-संपन्न मीडिया जो हमें दिखाता है और देश का सोशल मीडिया जो हमें समझाता है, इसके पीछे किसको सही समझें, किस के दावे या प्रस्तावना पर भरोसा करें।
कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. रागिनी नायक ने वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा पर 2024 लोकसभा चुनाव नतीजों पर लाइव डिबेट के दौरान गाली-गलौज करने का आरोप लगाया है। रागिनी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप साझा किया जिसमें रजत शर्मा कथित तौर पर उनके लिए आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। वीडियो तेजी से वायरल हो गया है। कांग्रेस के अलावा सोशल मीडिया पर तमाम लोग रजत शर्मा की भाषा से नाराज हैं। कांग्रेस पार्टी ने रजत शर्मा से बिना शर्त सार्वजनिक माफी की मांग की है। रजत शर्मा अपने भाजपा समर्थक स्टैंड के लिए जाने जाते हैं। उनका आपकी अदालत शो मशहूर है। जानिए पूरी बातः
न्यूज क्लिक के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि किसी को भी अपनी गिरफ्तारी की वजह जानने का हक है। प्रबीर पुरकायस्थ के मामले में इंसाफ के इस तकाजे को तोड़ा गया। लेकिन यह महज न्यूज क्लिक के संपादक का मामला नहीं है, यह मीडिया की आजादी का सवाल है। जिसे सरकार तमाम तरह के फर्जी आरोपों के सहारे नियंत्रित करना चाहती है। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का साप्ताहिक कॉलमः
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 15 मई को न्यूज क्लिक के संस्थापक और संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को अमान्य यानी गलत कहा और उनकी रिहाई का आदेश दिया। यह आदेश महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आदेश यूएपीए मामले में आया है। उन पर आरोप है कि चीन का प्रोपेगंडा करने के लिए उन्होंने धन प्राप्त किया है। जानिए पूरा मामलाः
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को मध्य प्रदेश में कहा है कि, आज देश में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार है लेकिन इन मुद्दों को टीवी पर कभी नहीं दिखाया जाता है।
मीडिया दिन-रात राम मंदिर की रट क्यों लगा रहा है? वह मोदी की प्रशंसा के गीत क्यों गा रहा है? क्या उसने मोदी के चुनाव प्रचार की कमान संभाल ली है? क्या उसने पत्रकारिता की मर्यादा और नैतिकता की बलि चढ़ा दी है?
कश्मीरी पत्रकार सज्जाद गुल की हिरासत को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने यह कहते हुए रद्द कर दिया कि सरकार की आलोचना हिरासत के लिए पर्याप्त आधार नहीं हो सकती।
न्यूज पोर्टल न्यूज क्लिक के खिलाफ सीबीआई ने भी एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई की टीम बुधवार 11 अक्टूबर को न्यूज क्लिक के दफ्तर और संबंधित लोगों पर छापे मार रही है। हालांकि न्यूज क्लिक के संस्थापक संपादक प्रबीर पुरकायस्थ पहले से ही गिरफ्तार हैं।
विपक्षी गठबंधन इंडिया ने कुछ टीवी चैनलों के एंकरों के कार्यक्रमों के बहिष्कार की घोषणा की तो दक्षिणपंथी खेमा बिलबिला उठा। दरअसल ऐसे घृणा प्रचारकों की पहली बार पहचान हुई है। हालांकि जनता ने सोशल मीडिया पर पहले ही इनकी सूची जारी कर इन्हें घृणा प्रचारक घोषित कर दिया था। लेकिन जब यही बात पूरी जिम्मेदारी के साथ देश के विपक्षी दलों ने कही तो बेचारे विचलित हो गए। हमारे स्तंभकार अपूर्वानंद इस मुद्दे पर बहुत बेबाक राय रख रहे हैं, जरूर पढ़िएः
इंडिया गठबंधन ने कुछ टीवी एंकरों को उनके नफरत फैलाने वाले कार्यक्रमों की वजह से कुछ दिनों तक बहिष्कार करने का फैसला किया है। लेकिन इस पर भाजपा को सबसे बुरा लगा है। उसने प्रेस की आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खतरे में बता दिया। लेकिन सच इसके विपरीत है। भाजपा के दामन में भी कई दाग हैं, जिन्हें उसे इस मौके पर धोना चाहिए।
वर्ष 2021 में जब कॉर्डेलिया क्रूज पर कथित 'रेव पार्टी' और आर्यन खेन का नाम आया था तो मुख्यधारा मीडिया ने इसे कैसे पेश किया था? आर्यन के ख़िलाफ़ किस तरह का माहौल बनाया गया था?
पाकिस्तान में पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद बने हालात पर वहां के प्रतिष्ठित अखबार द डॉन ने खुलकर संपादकीय लिखा है। द डॉन अखबार ने साफ शब्दों में लिखा है कि इमरान खान को चुप कराकर या राजनीतिक सीन से हटाकर कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। लोग सेना से भी नाराज हैं, इसका इशारा कल की घटनाओं से मिल गया है। इसलिए इसे पढ़िए कि कोई बड़ा अखबार कैसे अपनी जिम्मेदारी निभाता है।
भारत में प्रेस की आजादी का जो हाल है, वो सामने है। लेकिन विश्व प्रेस आजादी दिवस के मौके पर हमें उन पत्रकारों को नहीं भूलना चाहिए, जो प्रेस की आजादी बरकरार रखने के लिए कुर्बानी देते आए हैं। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग म्यांमार की घटना का जिक्र कर रहे हैं।
पुलवामा में मोदी सरकार की नाकामी पर जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक बहुत बड़ा खुलासा कर चुके हैं। लेकिन देश के मुख्यधारा के मीडिया ने सारे मामले पर ऐसे चुप्पी साध ली है, जैसे कुछ हुआ ही न हो। चिन्तक और सत्य हिन्दी के स्तंभकार अपूर्वानंद ने उसी खामोशी के अंदर झांकने की कोशिश की है।