15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन की स्थापना के समय, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक सपना देखा था। वह यह कि "दूरदर्शन एक स्वतंत्र और निष्पक्ष माध्यम बने, सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो और लोगों के हितों की सेवा करे।" नेहरू ने कहा था, "दूरदर्शन शक्तिशाली माध्यम है, जिसका उद्देश्य केवल मनोरंजन ही नहीं, इसका उपयोग देश के लोगों को शिक्षित और जागरूक बनाने के लिए भी हो।" नेहरू दूरदर्शन को BBC की तरह स्वायत्त और सीबीएस और एनबीसी की तर्ज पर ग्लोबल ब्रॉडकास्टर बनाना चाहते थे। इसी सपने को लेकर ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ के टैगलाइन के साथ जन्मा 'टेलीविजन इंडिया' 1975 में 'दूरदर्शन' बन गया।
दूरदर्शन की अंतिम धुन: शहनाई से चीख़ तक
- विश्लेषण
- |
- |
- 13 Apr, 2025

दूरदर्शन तबाही के कगार पर खड़ा है। कभी वह घर-घर की आवाज़ था, अब शायद कुछ ग्रामीण इलाकों या सरकारी कार्यालयों में चलता स्क्रीन मात्र। आज यह सरकारी गोदी मीडिया का भोंडा रूप बनकर रह गया है। अब ‘सुधीर चौधरी एक्सपेरिमेंट’ से इसका क्या हाल होने वाला है बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार ओंकारेश्वर पांडेयः