भारत की संसद में "झूठ" कहना अब असंसदीय हो गया है। मंत्रीगण असत्य कहें—कोई बात नहीं। लेकिन आप उन्हें “झूठा” कह देंगे, तो आप ही सदन की मर्यादा के दोषी ठहराए जाएँगे। आपसे कहा जाएगा—"कृपया असत्य कहें, झूठ मत कहें।"
वक्फ कानून: ‘उम्मीद’ या एक सुनियोजित मिसइन्फॉर्मेशन अभियान?
- विश्लेषण
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- 13 Apr, 2025

"झूठ बोलिए, बार-बार बोलिए—एक दिन वह सच मान लिया जाएगा।" यह हिटलर का नहीं, गोएबल्स का कथन था—लेकिन भारतीय संसद की मौजूदा तस्वीर देखिए, तो यह कथन सत्तारूढ़ दल की रणनीति सा लगता है। वरिष्ठ पत्रकार ओंकारेश्वर पांडेय ने वक्फ कानून पर संसद में कही गई बातों का विश्लेषण किया है, जानिएः